Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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उपयोग / ७३५
से होता है और चैतन्य का प्रत्वयी है अर्थात् चैतन्य को छोड़कर अन्यत्र नहीं रहता, वह परिणाम उपयोग है । '
शंका बाह्य निमित्त कौन-कौन से हैं ?
गाथा ६७२-६७५
समाधान वाह्य निमित्त दो प्रकार का है- श्रात्मभूत बाह्य निमित्त और अनात्मभूत बाह्य निमित्त । श्रात्मा से सम्बद्ध शरीर में निर्मित्त चक्षु श्रादि इन्द्रियाँ आत्मभूत बाह्य हेतु हैं और प्रदीप यदि अनात्मभूत बाह्य निर्मित है ।
शङ्का -- अन्तरंग निमित्त कौन-कौन से हैं ?
समाधान - अन्तरंग निमित्त भी ग्रात्मभूत और अनात्मभूत के भेद से दो प्रकार का है। मनवचन - काय की वर्गों के निमित्त से होने वाला श्रात्मप्रदेश-परिस्पन्दन रूप द्रव्य योग अन्तः प्रविष्ट होने से प्राभ्यन्तर अनात्मभूत हेतु अन्तरंग निमित्त है । *
इन दोनों निमित्तों के होने पर कोषा परिणाम अर्थात् ग्रात्मा के चैतन्य गुण का परिणमन है, वह उपयोग है और यह उपयोग जीव का लक्षण है ।
सद्विविधोऽष्टचतुर्भेदः ॥२॥ [ तत्त्वार्थसूत्र ]
- यह उपयोग दो प्रकार का है। साकार उपयोग और अनाकार उपयोग। माकार उपयोग आठ प्रकार का और अनाकार उपयोग चार प्रकार का है। साकार उपयोग ज्ञान है और अनाकार उपयोग दर्शन है ।
उasोगो दुविप्पो दंसणगाणं च दंसणं चदुषा ।
चक्खु चक्खु श्रोही दंसणमध केवलं णेयं ||४|| [ वृहद् द्रव्यसंग्रह ] गाणं प्रदुविययं मदि सुदि श्रोही प्रणाणणाराारिख । मरपज्जयकेवलमवि पचपवखभेयं च ।। ५ ।। [ वृहद् द्रव्यसंग्रह ]
:- ज्ञान और दर्शन के भेद से उपयोग दो प्रकार का है। उनमें से दर्शनोपयोग चार प्रकार का है । चक्षुदर्शन, प्रचक्षुदर्शन अवधिदर्शन और केवलदर्शन । ज्ञान आठ प्रकार का | मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मत्यज्ञान, श्रुताज्ञान, अवध्यज्ञान, मन:पर्ययज्ञान और केवलज्ञान । इनके प्रत्यक्ष और परोक्ष दो भेद हैं ।
शंका- साकार उपयोग और अनाकार उपयोग किसे कहते हैं ?
समाधान – जो उपयोग आकार सहित है, वह ज्ञानोपयोग है, क्योंकि वह आकार सहित है ।
१. स. सि. २ / ६ | २. रा. बा. २ / ८ / १० ३. रा. बा. २ / ६ । ४. "साकारं ज्ञानमनाकारं दर्शनमिति" । [स.सि. २/६