Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा ७२४
पालाप/550
मार्गरणा
सम्भय गुरगस्थान |
- --|-
सम्भव प्रालाप -- -- --
-
-
-
उभयत्र पालाप त्रय
ज्ञानमार्गणा मति श्रुत अज्ञान विभंग मतिश्रुतावधिज्ञान मनःपर्ययज्ञान
४से
पर्याप्तालाप | ४, ६ में पालाप त्रय शेष में पर्याप्त पालाप
एक पर्याप्तालाप (सर्वत्र) । १३ व में पालापत्रय । १४ वें में एक पर्याप्त पालाप ।
केवलज्ञान
संयममार्गरणा असंयम
१से ४
संयमासंयम
| १, २, ४ में पालापत्रय । ३ में पर्याप्त पालाप | पर्याप्त पालाप | ६ में पालापत्रय, शेष में (७, ८, ६) में पर्याप्त पानाप एक मात्र पर्याप्त पालाप एक मात्र पर्याप्त पालाप | एक मात्र पर्याप्त पालाप (पर १३ व में पालापत्रय)
सामायिक छेदो. परिहारविशुद्धि सूश्मसाम्पराय
HAM
१० वा
यथास्यात
११ मे १४
दर्शनमार्गमा चक्षु, अचक्षु अवधि
म १२
से १२
। १, २, ४, ६ में पालापत्रय । शंष में पर्याप्त पालाप । ४. ६ में पालापत्रय । शेष में पर्याप्त पालाप । १३ व में पालाप त्रय । १४ वें में पर्याप्त पालाप ।
केवल
१३ से १४
लेश्यामार्गणा अशुभत्रय शुभद्विक
१, २, ४ में आलाप त्रय । शेष में पर्याप्त पालाप ।
१ से १७
शुक्ल
| १, २, ४, ६. १३
॥
भव्यमार्गणा अभव्य
१ पहला
पालापत्रम
भव्य
| १, २, ४, ६, १३ में ग्रालाप त्रय । शेष में पर्याप्त पालाप