Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा ३५२-३५४
जानमागण/४३
अब चौंसठ अक्षरों के चार संयोगी भंगों का प्रमाण उत्पन्न कराने पर इकसठ बटे चार से ४१६६४ इन त्रिसंयोगी भंगों के गुणित करने पर चौसठ अक्षरों के सब चार संयोगी भंग उत्पन्न होते हैं । उनका प्रमाण यह है---६३५३७६ ।
इसी प्रकार पाँच संयोगी और छह संयोगी आदि भंग उत्पन्न करा कर सब भंगों को एकत्र करने पर पहले उत्पन्न कराये गये एक कम एकट्ठीमात्र संयोगाक्षर और उनके निमित्त से उत्पन्न हुए उतने मात्र ही अतज्ञान उत्पन्न होते हैं।
शङ्का--एक अर्थ में विद्यमान दो आदि अक्षरों का संयोग भले ही होवे, परन्तु एक अक्षर का संयोग नहीं बन सकता ; क्योंकि संयोग द्विस्थ होता है अतः उसे एक में मानने में विरोध पाता है ?
___ समाधान—यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि एक अर्थ में विद्यमान दो प्रकारों का एक अक्षर रूप से परिणमन देखा जाता है।
'या श्रीः सा गौः' यह असंयोगी एक अक्षर का उदाहरण नहीं है, क्योंकि, यह संयुक्त अनेक अक्षरों से निष्पन्न हुआ है। तथा यह एक संयोगाक्षर का भी उदाहरण नहीं है, क्योंकि भिन्न जाति के अक्षरों के संयोग को एक अक्षरसंयोग मानने में विरोध आता है। तथा 'वीरं देवं नित्यं वन्दे, वृपभं वरदं सततं प्रणमे, वीरजिन वीतभयं लोकगुरुं नौमि सदा, कनकनिभं शशिवदनं अजितजिनं शरणमिये' इत्यादि के साथ व्यभिचार भी दिखाना चाहिए ।
फिर एकसंयोगी भंग कैसे प्राप्त होता है, ऐसा पूछने पर उत्तर देते हैं कि
अक्षरों के संयोग की विवक्षा न करके जब अक्षर ही केवल पृथक्-पृथक् विवक्षित होते हैं तब श्रुतज्ञान के अक्षरों का प्रमाण चौंसठ होता है, क्योंकि इनसे पृथग्भूत अक्षरों के संयोग रूप अक्षर नहीं पाये जाते । श्र तज्ञान भी चौंसठ प्रमाण ही होता है, योंकि संयुक्त और प्रसंयुक्त रूप से स्थित व तज्ञान के कारणभूत अक्षर चौंसठ ही देखे जाते हैं ।
शङ्का - अक्षरों के समुदाय से उत्पन्न होने वाला श्रु तज्ञान एक अक्षर से कैसे उत्पन्न होता
समाधान-कारण कि प्रत्येक अक्षर में श्रुतज्ञान के उत्पादन की शक्ति का अभाव होने पर उनके समुदाय से भी उसके उत्पन्न होने का विरोध है ।
बाह्य एक-एक अर्थ को विषय करने वाले विज्ञान की उत्पत्ति में समर्थ अक्षरों के समुदाय को संयोगाक्षर कहते हैं। यथा---'या श्रीः सा गीः' इत्यादि । ये संयोगाक्षर, इनसे उत्पन्न हुए थ तज्ञान एक कम एकट्ठी प्रमाण होते हैं।