Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
View full book text
________________
गाथा ४८०-४५१
संयममार्गरा/५६३
पीला, हरा, लाल, काला ये पाँच प्रकार के वर्ण, सुगन्ध और दुर्गन्ध के भेद से गन्ध दो प्रकार की; स्बर सात प्रकार के षड़ज, ऋषभ, गान्धार. मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद ; स्पर्श के पाठ भेदकोमल-कठोर, हलका-भारी, शीत-उष्ण, रूखा-चिकना, मन का विषय एका; इस प्रकार अढाईस इन्द्रिय विषय होते हैं (५+५+२+७-८+१- २५) ।
संयममार्गणा में जीवसंख्या पमदादिचउण्हजुदी सामयियदुगं कमेण सेसतियं । सत्तसहस्सारणवसय णवलक्खा तोहि परिहीरणा ॥४८०॥ पल्लासंखेज्जदिमं विरदाविरदाण दवपरिमाणं ।
पुधुत्तरासिहोरा संसारी अविरदारण पमा ॥४१॥ गाथार्थ-प्रमत्तादि चार गुणस्थानवर्ती जोवों का जितना प्रमाण है उतना ही प्रमाण सामायिक संपतों का है और ना गरेको स्याना संयत जीवों का है। और शेष तीन संयमी जीवों का प्रमाण क्रम से तीन कम सात हजार (६६६७) व तीन कम नौ सौ (८६७) और तीन कम नौ लाख है ।।४८०।। विरताविरत का प्रमाण पल्य के असंख्यातवें भाग है। संमारी जीवों में से पूर्वोक्त राशियों को कम कर देने से असंयतों का प्रमाण आता है ।।४८१।।
विशेषार्थ- सामायिक छेदोपस्थापना संयत कोटि पृथक्त्व प्रमाण है।' यहाँ पर पृथक्त्व का प्रमाण नहीं बतलाया गया क्योंकि दक्षिण मान्यता के अनुसार कुल संयतों की संख्या पाठ करोड़ निन्यानवे लाख निन्यानवे हजार नौ सौ सत्तानवे है। किन्तु उत्तर मान्यता के अनुसार कुल संयतों की संख्या छह करोड़ निन्यानवे लाख निन्यानवे हजार नौ सौ छयानवे है। ये दोनों संख्या कोटि पृथक्त्त्र के अन्तर्गत हैं। सर्व संयतों की संख्या में से सूक्ष्म साम्परायिक संयत और यथाख्यात संयतों की संख्या कम कर देने पर सामायिक-छेदोपस्थापना संयतों की संख्या शेष रह जाती है। परिहारशुद्धि संयतों के सामायिक छेदोषस्थापना संयम अवश्य होता है, अतः परिहारशुद्धि संयतों की संख्या कम नहीं की गई। परिहारशुद्धिसंयत तीन कम सात हजार (६६६७) होते हैं और सूक्ष्म-साम्पराय संयत तीन कम नौ सी (८६७) होते हैं । और यथाख्यात संयमी जीव आठ लाख निन्यानवे हजार नौ सौ सत्तानवे हैं । सूक्ष्मसाम्पराय और यथाख्यात संयतों की दोनों की संख्या (८६७ + ८६६६६७) नौ लाख आठ सौ चौरानवे (६००८९४) होती है। इसको सर्व संयतों की संख्या पाठ करोड़ निन्यानवे लाख निन्यानवे हजार नौ सौ सत्तानवे में से कम करने पर शेष (RECE९६७-६००५६४) आठ करोड नब्बे लाख निन्यानवे हजार एक सौ तीन (८९०६६१०३) सामायिक छेदोपस्थापना संयतों की संख्या है।
संयतासंयत द्रव्य प्रमाण से पल्योपम के असंख्यातवें भाग हैं ।।१३७।। यहाँ पर अन्तमूहर्त द्वारा पल्योपम अपहृत होता है ।।१३८॥ "अन्तर्मुहूर्त'' कहने से असंख्याता प्रावलियों का ग्रहरण
१. संजमाणूचादेण संजदा सामाइयच्छेदो चट्रावण सुद्धि संजदा दवपमार्णण केवटिया ? ||१२८]। कोटिपुधन ।।१२६।।" [ध.पु. ७ पृ. १८८] । २. प.पु. ३ पृ. ६८। ३. .पु. ३ पृ. १०१। ४. य.पु. ३ पृ. ४४६ । ५. ध.. ३ पृ. ६७ ।।