Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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४०८/गो. सा. जीवकाण्ड
गाथा ३२३-३१
... (B)
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X
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क (जीवराशि+१) यहां असंख्यात भागवृद्धि है = -
___ जीवराशि x असं. लोक अब अधस्तन स्थान की वृद्धि (A) से असंख्यातभागवृद्धि (B); कितनी गुणी है ? इसे मात करने के लिए मार्गख्यात गाजि (B) कालन्त स्मारक वृद्धि अर्थात् अनन्तभागवृद्धि (A) का भाग देना पड़ेगा?
___ क (जीवराशि+१) क भाग देने पर -
जीवराशि x असं. लोक जीवराशि क (जीवराशि :- १) जीवराशि
जीवराशि x असं.लोक क ऊपर के क और जीवराशि को नीचे के क और जीवराशि से अपवर्तित करने पर यानी काटने पर, यानी सदृश धन का अपनयन करने पर :
(जीवराशि १)
असंख्यात लोक = असंख्यात लोक से भक्त एक अधिक जीवराशि ।
इस प्रकार यह सिद्ध हुआ कि गुणकार असंख्यात लोक से अपवर्तित एक अधिक सब जीवराशि प्रमाण है।
__ संख्यातभागवृद्धि एक कम जघन्य असंख्यातभागवृद्धि द्वारा वृद्धि को प्राप्त होती है ॥२०॥ 'एक कम जघन्य असंख्यात' से उत्कृष्ट संख्यात का ग्रहण होता है । इस उत्कृष्ट संख्यात का एक अधिक काण्डक से गुणित काण्डक प्रमारण वृद्धियों में से अन्तिम अनन्तभाग वृद्धि स्थान में भाग देने पर जो लब्ध हो उसको उसी स्थान में प्रतिराशि करके मिलाने पर संख्यातभागवृद्धि का प्रथम स्थान होता है। इसमें से एक अविभागप्रतिच्छेद कम होने पर स्थानान्तर होता है। यह अधस्तन अनन्तभागवृद्धि स्थानान्तरों से अनन्तगरणा है। असंख्यातभागवृद्धि स्थानान्तरों से असंख्यातगुणा है। उपरिभ अनन्तगुणवृद्धि के अधस्तन अनन्तभागवृद्धि स्थानान्तरों से अनन्तगुणा है । असंख्यातगुणवृद्धि के अधस्तन असंख्यात भागवृद्धि स्थानान्तरों से असंख्यातगुणा है । अनन्तगुणवृद्धि के अधस्तनवर्ती संख्यात भागवृद्धि स्थानान्तरों से संख्यातवें भाग से होन, संख्यातगुणा हीन अथवा असंख्यातगुणाहीन है ।'
संख्यात गुणवृद्धि एक कम जघन्य असंख्यात गुणवृद्धि से वृद्धिंगत होती है। काण्डक प्रमाण संख्यातभाग वृद्धियां जाकर फिर प्रागे संख्यात भाग वृद्धि के विषय में स्थित अनन्तभागवृद्धि स्थान को उत्कृष्ट संख्यात से गुणित करने पर संख्यातगुणवृद्धि होती है। अघस्तन स्थान में इस
१. ध.पु. १२ पृ. १५४ ।
२. घ.पु. १२ पृ. १५४ ५ १५५ । ३. प.पु. १२ पृ. १५५ ।