Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा १६६-१६७
इन्द्रियमार्गणा/२३७
अबलम्बन से तथा श्रीन्द्रियजाति नामकर्म के उदय की वशतिता के होने पर स्पर्शन, रसना एवं नाण ये तीन इन्द्रियाँ उत्पन्न होती हैं।'
जिनके चार इन्द्रियाँ पाई जाती हैं, वे चतुरिन्द्रिय जीव हैं। मच्छर, मक्खी प्रादि चतुरिन्द्रिय जीव हैं । कहा भी है --
भक्कडय-भमर-महुवर-मसय-पदंगा य सलह-गोमच्छी।
मन्छो सदंस कीडा या परिदिया जीवा ॥१३८॥ अर्थात् मकड़ी, भौंरा, मधु-मक्खी, मच्छर, पतङ्ग, शलभ, गोमक्खी, मक्खी, डॉस प्रादि चतुरिन्द्रिय जीव हैं।
वीर्यान्तराय और चाइन्द्रियावरण के क्षयोपशम से तथा अंगोपांग नामकर्म के उदय से 'जिसके द्वारा पदार्थ देखा जाता है वह चाइन्द्रिय है। यद्यपि 'चक्षिङ् धातु अनेकार्थक है, तथापि यहाँ दर्शनरूप अर्थ की विवक्षा है। स्वातंत्र्य विवक्षा में चक्षु इन्द्रिय के कर्तृ साधन भी होता है। जैसे-- यह मेरी आँख अच्छी तरह से देखती है, इसलिए पूर्वकथित चक्षुइन्द्रियावरणादि कारणों के मिलने पर जो देखती है, वह चक्षुइन्द्रिय है।'
शङ्का-चक्षुइन्द्रिय का विषय क्या है ? समाधान --चक्षुइन्द्रिय का विषय 'वर्ण' है । जो देखा जाए वह वर्ण है।
शङ्का--स्पर्शन, रसना, प्राण और चक्षु, इन चारों इन्द्रियों की उत्पत्ति किन कारणों से होती है ?
समाधान- 'वीर्यान्तराय और स्पर्शन, रसना, घ्राण, चाइन्द्रियावरण कर्म के क्षयोपशम, शेष थोत्रइन्द्रियावरणकर्म के सर्वघाती स्पर्द्धकों के उदय, अङ्गोपाङ्गनामकर्म के उदयालम्बन तथा चतुरिन्द्रियजाति नामकर्म के उदय को वशवतितारूप कारणों के होने पर इन चार इन्द्रियों की उत्पत्ति होती है।
शङ्का--'पञ्चेन्द्रियजीव किसे कहते हैं ?
समाधान-जिनके स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु यौर श्रोत्र ये पांचों इन्द्रियाँ पाई जावें, वे पञ्चेन्द्रिय जीव हैं।
शा-पञ्चेन्द्रियजीव कौन-कौन से हैं ? समाधान-जरायुज, अण्डज आदि पञ्चेन्द्रियजीव हैं। कहा भी है -
संसेविम-समुच्छिम-उम्भेदिम-प्रोववाविया चेव । रस-पोतंरजजरजापंचिदिया जीवा ॥१३६॥
१. ध, पु. १ प. २४६ । २. घ. पु. १ पृ. २४७ । ३. वही। ४. प. पु. १ पृ. २४८]
५. वही । ६. बही ।