Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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२५:/गो. सा, जीवकाण्ड
गाथा १५३
बादरसुहमुदयेण य बादरसुहुमा हवंति तद्देहा ।
घादसरीरं थूलं प्रधाददेहं हवे सुहमं ।।१८३॥ मायार्थ यादर व मूक्ष्म नाम कर्मोदय से उन प्रथिवीकायिक प्रादि जीवों का शरीर बादर व सूक्ष्म होता है, घात लक्षण वाला शरीर बादर (स्थूल) होता है और अघात लक्षण वाला शरीर सूक्ष्म होता है ।।१८३।।
विशेषार्थ-स्थावर जीव दो प्रकार के हैं—बादर व सूक्ष्म । जिनके जीवविपाकी बादर नामकर्म का उदय है, वे यादर जीव हैं। जिनतो सुक्ष्म जीव-विपात्री-नामकर्म का उदय है, वे सूक्ष्म जीव हैं। यादर जीवों का शरीर भी बादर होता है और सूक्ष्म जीवों का शरीर भी मूक्ष्म होता है ।'
शङ्का-बादर शब्द स्थूल का पर्यायवाची है और स्थूलता का स्वरूप नियत नहीं है, अतः यह ज्ञात नहीं होता कि कौन-कौन जीव स्थल हैं । जो चाइन्द्रिय के द्वारा ग्रहण करने योग्य हैं वे स्थूल है, यदि ऐसा कहा जाए तो भी नहीं बनता, क्योंकि ऐसा मानने पर जो स्यूल जीव चक्षु इन्द्रिय के द्वारा ग्रहण करने के समय नहीं हैं. उनको राशन कारपति हो जाएगी। जिनका चक्ष इन्द्रिय द्वारा ग्रहण नहीं होता उनको बादर मान लेने पर सूक्ष्म और वादर में कोई भेद नहीं रह जाएगा।
समाधान नहीं, क्योंकि यह आशंका पागम के स्वरूप की अनभिज्ञता की योतक है। वह बादर शब्द स्थूल का पर्यायवाची नहीं है. किन्तु बादर नामकर्म का वाचक है। इसलिए वादर नामकर्म के उदय के सम्बन्ध से जीव भी बादर हो जाता है।
शङ्गा-- शरीर की स्थूलता को उत्पन्न करने वाले कर्म वो बादर और सूक्ष्मता को उत्पन्न करने वाले कर्म को सूक्ष्म कहते हैं। तथापि जो चल इन्द्रिय द्वारा ग्रहण करने योग्य नहीं है, वह सूक्ष्म शरीर है और जो उसके द्वारा ग्रहण करने योग्य है वह बादर शरीर है। अत: सूक्ष्म और बादर कर्म के उदयवाले सूक्ष्म और वादर शरीर से युक्त जीवों को सूक्ष्म और बादर संज्ञा हठात् प्राप्त हो जाती है। इससे यह सिद्ध हुआ जो चक्षु से ग्राह्य हैं, बे बादर हैं और जो चक्ष से अग्राह्य हैं, वे सूक्ष्म हैं । यदि यह लक्षण न माना जाय तो सूक्ष्म और बादर में कोई भेद नहीं रह जाता ?
समाधान-ऐसा नहीं है, क्योंकि स्थूल तो हो और चक्षु मे ग्रहण करने योग्य न हो, इस कथन में कोई विरोध नहीं है।
शङ्का- सूक्ष्म शरीर से असंख्यातगुणी अधिक अबगाहना वाले शरीर को बादर कहते हैं और उस शरीर से युक्त जीवों को उपचार से बादर कहते हैं। अथवा बादर शरीर से असंख्यातगुणी हीन । अवगाहनावाले शरीर को सूक्ष्म कहते हैं । उस सूक्ष्मशरीर से युक्त जीव को उपचार से सूक्ष्म कहते हैं।
१. श्रीमदभयचन्द्रसुरिकृतदीका । २. "यदुदयाद् जीवानां चक्षुपिशरीरत्वलक्षणं बादरत्वं भवति तद् बादर नाम, पृथिव्यादेरेकैकशरीरम्प चक्षु झवाभावेऽपि बादरपरिणामविशेषाद् बहूनां समुदायचक्षुषा ग्रहणं भवति । तद्विपरीतं मूक्ष्मनाम, यदुदयाद् वदनां समुदितानाग पि जन्तु शरीगणां चक्षुर्माह्यता न भवति ।" श्वेताम्बर कर्म प्रकृति