Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
भय देश में होने वाला है, याने दूसरे राज्य का आक्रमण स्वदेश पर होने वाला है ॥ १६ ॥
अग्निमाग्नि प्रभा कुर्याद् व्याधिमनिष्ठ सन्निभा । नीला कृष्णा च धूम्रा च शुक्ला वाऽसि समद्युतिः ॥ १७ ॥ उल्का नीचैः समास्निग्धा पतन्ति भयमादिशेत् । शुक्ला रक्ता च पीता च कृष्णा चापि यथा क्रमम् । चतुर्वर्णा विभक्तव्या साधुनोक्ता यथा क्रमम् ॥ १८ ॥
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(अग्नि) अग्नि (अग्निप्रभां ) अग्निप्रभा (कुर्याद्) को करने वाली ( मञ्जिष्ठ) मनिष्ठ वर्ण की ( व्याधि) व्याधि को (सन्निभा) निकट लाने वाली होती है (नीला) नीलवर्ण की (कृष्णा) काले वर्ण की (च) और (धूम्रा ) धूऐं के समान वर्ण की (च) और (शुक्ला) सफेद वर्ण की (वा) अथवा (असि) तलवार के समान ( समुद्यति:) द्युति वाली (उल्काः) उल्का ( नीचैः) नीचे होती है ( समास्निग्धा ) समान स्निग्ध होकर (पतन्ति ) गिरती है तो ( भयमादिशेत्) भय को दिखाने वाली होती है (शुक्ला) सफेद (रक्ता) लाल (च) और (पीता) पीली (च) और (कृष्णा) काली ( चापि ) और भी ( यथा क्रमम्) यथा क्रम से ( चार्तुर्वर्णा) चार रंगों में (विभक्तव्या) विभक्त करना चाहिये (यथा ) यथा ( क्रमम्) क्रम से (साधुनोक्ता) साधुओं ने कहा है ।
भावार्थ — यहाँ पर पूर्वाचार्य श्री भद्रबाहु कहते है कि यदि उल्का अग्नि के समान वर्ण वाली होकर गिरे तो समझो अग्नि भय होगा, यदि मञ्जिष्ठ के रंग की उल्का हो तो समझो व्याधि उत्पन्न होगी, नीलवर्ण की उल्का, काली रंगी की उल्का, धुऐं के समान रंग की उल्का, सफेद उल्का और तलवार के समान कान्ति वाली उल्का अधम है, स्निग्ध रूप होकर गिरे तो भय को उत्पन्न करने वाली होती है, सफेद रंग की उल्का ब्राह्मणों को भय उत्पन्न करेगी, लाल वर्ण की उल्का क्षत्रियों को भय करेगी, पीले वर्ण की उल्का वैश्यों को भय देगी और काले वर्ण की उल्का शूद्रों को फल देगी, चारों वर्णों को क्रमशः भय उत्पन्न करेगी ।। १७-१८ ॥