Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पञ्चविंशतितमोऽध्यायः
उक्त चक्र द्वारा तेजी-मन्दी निकालने की विधि शाकः खगाब्धिभूपोनः १६४९ शालिवाहनभूपतेः। अनेन युक्तो द्रव्याश्चैत्रादिप्रतिमासके॥ रूद्रनेत्रैः हते शेषे फलं चन्द्रेण मध्यमम्। नेत्रेण रसहानिश्च शून्येनार्धे स्मृतं बुधैः॥
अर्थात् शक वर्षकी संख्या १६४९ घटाकर, मासमें जिस पदार्थ का भाव जानना हो उसके ध्रुवाङ्क जोड़कर योगफलमें ३ का भाग देनेसे एक शेष समता, दो शेष मन्दा और शून्य शेषमें तेजी कहना चाहिए। विक्रम संवत्में से १३५ घटाने पर शक संवत् हो जाता है। उदाहरण--विक्रम संवत् २०१३ के ज्येष्ठमासमें चावलकी तेजी-मन्दी जाननी है। अत: सर्वप्रथम विक्रम संवत् का शक संवत् बनाया-२०१३-१३५ = १८७८ शकसंवत्।सूत्र-नियमके अनुससार १८७८-१६४९ = २२९ और ज्येष्ठमाप्त में चावलका ध्रुवांङ्क १ है, इसे जोड़ा तो २२९ + १ = २३०; इसमें ३ से भाग दिया = २३० भाग ३ = ७६; शेष २ रहा अत: चावल का भाव मन्दा आया। इसी प्रकार समझ लेना चाहिए।
दैनिक तेजी-मन्दी जाननेका नियम—जिस देशमें, जिस वस्तुकी, जिस दिन तेजी-मन्दी जाननी हो उस देश, वस्तु, वार, नक्षत्र, मास, राशि, इन सबके ध्रुआवोंको जोड़कर ९ का भाग देनेसे शेषके अनुसार तेजी-मन्दी का ज्ञान "तेजी-मन्दी देखनेके चक्र" के अनुसार करना चाहिए।
देश तथा नगरों की ध्रुवा—बिहार १६६, बंगाल २४७, आसम ७९१, मध्यप्रदेश १०८, उत्तरप्रदेश ८९०, बम्बई १९८, पंजाब ४१९, रंगून १६७, नेपाल १५४, चीन ६४२, अजमेर-१६७, हरिद्वार २७२, बीकानेर २१३, सूरत १२८, अमेरिका ३२२, यूरोप ९७६।
मास ध्रुधा-चैत्र ६१, वैशाख ६३, ज्येष्ठ ६५, आषाढ़ ६७, श्रावण ६९, भाद्रपद ७१, आश्विन ७३, कात्तिक ५१, मार्गशीर्ष ५३, पौष ५५, माघ ५७, फाल्गुन ६५
सूर्यराशि ध्रुवा—मेष ५२०, वृष ७६२, मिथुन ५१०, कर्क २१८, सिंह ८३०, कन्या २६०, तुला ५०३, वृश्चिक ७११, धनु ५२४, मकर ५५४, कुम्भ २७०, मीन ५८६।