Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा ज्ञान
ऐसे मनुष्य जीवन का उत्तरदायित्व बहुत ही महसूस करते है और फलस्वरूप उनका जीवन अक्सर अन्धकारपूर्ण तथा नीरसतापूर्ण हो जाता हैं और वे अपने घर में ही मजबूर हो जाते है।
यदि वह बहुत धार्मिक बनता है तो विशेष कर हद तक पहुँच जाता हैं और किसी भी धर्म में दृढ़ी हो जाता है।
जादू और अदृश्य विद्या उनकी आन्तरिक प्रकृति के अनुकूल होती है। लेकिन वहाँ भी ये हद तक पहुँच जाते हैं।
वे लगभग होशियार तथा विद्वान् मनुष्यों की पूजा करते तथा गम्भीर विचार वाले होते है, लेकिन अपने विचारों में दूसरे मनुष्यां का दखल सहन नहीं कर सकते है ये प्रात: बहुत उत्तरदायित्व की जगह ले लेते हैं लेकिन हर कार्य में भाग्य अपना काम करता है ये भाग्य के औजार होते हैं। अक्सर जिसमें वे अपना कर्तव्य सोचते हैं उसके लिए हजारों को नाश के घाट उतार देते हैं। यदि उनसे अपने प्रिय का बलिदान करने के लिए कहा जाता है तो वे अपने अंतरंग प्रिय के हृदय में भी चाकू भोंक देते है। इस समय में पैदा होने वाले सभी मनुष्य अजीब तथा दृढ़ स्वभाव, बराबर की घृणा, प्यार और डर रखते हैं।
__ स्वास्थ्य-ऐसे मनुष्य गठिय, वायु रोग, पैर में दर्द व सूचन, घुटनों तथा पैर में आकस्मिक चोट, जिगर तथा गुर्दो की बीमारी, कान तथा दाँतों की बीमारी रखते हैं।
शनि का (Negative) उभार __ शनि का उभार (Negative) या मानसिक जबकि मनुष्य 21 जनवरी 16 फरवरी तक पैदा होते हैं। ये मनुष्य सभी चीजों में प्रथम प्रकार के मनुष्यों जैसे होते है। अन्तर केवल इतना हैं कि ये चीजे उन पर शारीरिक की अपेक्षा मानसिक प्रभाव अधिक रखती है। वे जीवन में अकेलापन महसूस करते है। वे अपने जीवन में विचारों तथा सोचने में कम भिन्नता पाते है। जबकि पहले वाले मनुष्य अपने जीवन में अधिक महसूस करते हैं।
ये मनुष्य अधिक भावुक होते हैं और बहुत जल्दी ही अपने भावों में घायल