Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा ज्ञान
6. आदर्शात्मक या भला चंगा ।
7. मिला हुआ सब प्रकार का ।
प्रायः मस्तिष्क रेखा के गुण हाथ की बनावट पर निर्भर हैं जैसे-यदि यह चौकोर या अभ्यास हाथ पर सीधी पड़ी हो या झुकी हुई हो तो वह दार्शनिक, नुकीला या आदर्शात्मक हाथ पर अधिक विचारात्मक प्रकृति प्रकट करती हैं।
साथ ही यदि वह अपनी किस्म से विपरीत हाथ पर पाई जावे तो वह कोई गूढ़ अर्थ रखती है । उदाहरणार्थ – यदि मानसिकता की झुकी हुई रेखा चौकोर अथवा अभ्यासी हाथ पर दिखाई पड़े तो यद्यपि उस मनुष्य के विचार तथा कार्यों की नींव अभ्यास पर होगी तथापि वे अधिक विचारात्मक होंगे वनस्थित किसी वैसे ही देखने वालो के बताने से ।
दूसरी ओर यदि रेखा दार्शनिक, नुकीले आदर्शात्मक या कार्यशील हाथ पर सीधी पड़ी हो तो वह मनुष्य बहुत अभ्यासी प्रकृति का होता है यहाँ तक कि वह अपने दार्शनिक तथा आदर्श के बाहरी विचारों में भी अभ्यास का प्रयोग करता हैं।
सीधे सादे हाथ पर यह रेखा बहुत छोटी सीधी तथा भद्दी हो तो वह मनुष्य अक्सर छोटी गहरी (Furrow) हल्की प्रकृति का पाया जाता है। यदि यह लम्बी और स्पष्ट है तो कुछ रूखे जंगलीपन के स्वभाव में कुछ मानसिक उन्नति करता
है।
यदि चौकोर हाथ पर यह रेखा सीधी या लम्बी के स्थान पर झुकी हुई हो तो वह कलात्मक तथा विचारात्मक प्रकृति की नवीन उन्नति की द्योतक है लेकिन सदा उसके लिए अभ्यास तथा तर्क की प्रकृति उसको सहारा देने के लिये होती है।