Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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शक्ति, तोमर, बाण के चिह्नों से अंकित हाथ वाला पुरुष युद्ध में शूर होता है, वह शख्स विद्या को भेदने वाला होता है।
रथो वा यदि वा छत्रं करमध्ये तु दृश्यते।
राज्यं च जायते तस्य बलवान् विजयी भवेत् ॥ । जिसके हाथ में रथ, छत्र का चिह्न हो तो वह बलवान् और राज्य का जीतने वाला होता है।
वृक्षो वा यदि वा शक्ति: करमध्ये तु दृश्यते।
अमात्यः स तु विज्ञेयो राजश्रेष्ठी च जायते॥ जिसके हाथ में वृक्ष या शक्ति का चिह्न हो तो वह मन्त्री और राजा का सेठ होता है।
ध्वजं वा ह्यथवा शंखं यस्य हस्ते प्रजायते।
तस्य लक्ष्मीः समायाति सामुद्रस्य वचो यथा॥ जिसके हाथ में ध्वज या शंख का चिह्न हो। उसके पास सामुद्रशास्त्र के कथनानुसार लक्ष्मी आती है।
धन विषय रेखा फल जिअरेहाउ कुलरेहमागया जस्स होइ अखंडा।
रेहा अप्फुडिया से धणवुढी होई परिसस्स ॥५७॥
(जस्स) जिस मनुष्य की (जिअरेहाउ कुलेरहमागया) जीवन रेखा, कुल रेखा से आकर मिल गई हो (अखंडा होइ) और यह रेखा अखण्ड हो (अप्फुडियासेरेहा) फूटी हुई न हो तो (पुरिसस्स) उस पुरुष के (धणबुढी होइ) धन वृद्धि होती है।
भावार्थ-जिस मनुष्य की जीवन रेखा कुल रेखा में आकर मिल गई हो, और वह रेखा अखण्ड हो फूटी हुई न हो तो उस मनुष्य को बहुत धन वृद्धि होती