Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा ज्ञान
वह पुरुष सामर्थ्यवान् तथा स्त्रियों का प्यारा होता है, जिसके पैर पृथ्वी पर बराबर बैठते हैं। उसके घर पृथ्वी भी रहती है।
स्निग्धशब्दविवर्जितम् । स्त्रीभोगं लभते सौख्यं न सनरो भाग्यवान् भवेत् ॥
द्विधारं पतते मूत्रं
मूत्र करते समय जिसका मूत्र दो धार होकर गिरे और उसमें से शब्द न निकले वह पुरुष भाग्यवान् होता है और स्त्रीभोग तथा सुख को प्राप्त होता है। मीनगन्धं भवेद्रेत: ल नरः पुत्रवान् भवत् । मद्यगन्धं भवेद्रेतः स नरस्तस्करो भवत् ॥ होमगन्धं भवेद्रेत: स नरः पार्थिवो भवेत् । कटुगन्धं भवेद्रेतः पुरुषो दुर्भगो भवेत् ॥ क्षारगन्धं भवेद्रेतः पुरुषा मधुगंधं
दारिद्र्यभोगिनः ।
भवेद्रेतः पुमान्दारिद्र्यवान् भवेत् ॥
जिस पुरुष के वीर्य से मछली की गन्ध आती हो वह पुत्रवान्, शराब की गन्ध आती हो वह चोर, होम की गन्ध आती हो वह राजा, कड़वी गन्ध आती हो वह अभागा; खारी गन्ध आती हो वह दरिद्र एवं मधु की गन्ध हो वह निर्धन होता है ।
किंचिन्मिश्रं तथा पीतं भवेद्यस्य च शोणितम् । राजानं तं विजानीयात् पृथ्वीशं चक्रवर्तिनम् ॥
जिसका रक्त कुछ पीलापन लिये हुये हो उसे पृथ्वी का मालिक चक्रवतीं राजा बनाना चाहिये ।
मृगोदरो
नरो धन्यः मयूरोदरसन्निभः । व्याघ्रोदरो नरः श्रीमान् भवेत् सिंहोदरो नृपः ॥
मृग और मोर की तरह पेट वाला मनुष्य भाग्यवान्, बाघ की तरह पेट वाला धनवान् और सिंह के पेट के समान पेट वाला मनुष्य राजा होता है।