Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा ज्ञान
त्रिशूलमंकुशं चापि ललाटे यस्य
धनिकं
यते ।
विजानीयात् पराजीवल्लभः ॥
तं
जिसके ललाट पर त्रिशूल या अंकुश का चिह्न दिखाई दे उसे धनी समझना चाहिये। वह स्त्री का प्राण प्यारा होता हैं ।
स्थूलशीर्बनरा वर्तुलाकारशीर्षेण
ये च धनवंतः मनुजो
चौड़े सिर वाले मनुष्य धनी और गोलाकार सिर वाले राजा होते हैं।
रुक्षनिर्वाणि वर्णानि स्नेहस्थूला च मूर्द्धजा । निस्तेजाः सः सदा ज्ञेयः कुटिलकेशदुःखितः ॥
प्रकीर्तिताः ।
मानवाधिपः ॥
जिसके बाल रुखे विवर्ण हों तथा तेल आदि लगाने पर जकड़ कर स्थूल हो जाते हों वह पुरुष निस्तेज होता हैं। कुटिल अलकों वाला मनुष्य दुःखी होता
है ।
अथ स्त्रीलक्षणम्
प्रणम्य
सर्वज्ञं
परमानन्दं स्वामिनं जिनम् । सामुद्रिकं प्रवक्ष्यामि स्त्रीणामपि शुभाशुभम् ॥
परम आनन्द मय, सर्वज्ञ, श्री स्वामी जिनेश्वर को प्रणाम करके स्त्रियों के शुभाशुभ के बताने वाले सामुद्रिक शास्त्र को कहता हूँ ।
कीदृशीं बरयेत्कन्यां कीदृर्शी च विवर्जयेत् । किंचित्कुलस्य नारीणां लक्षणं वक्तु मर्हसि ॥
कैसी कन्या का वरण करना चाहिये, कैसी का त्याग करना चाहिये, कुलस्त्रियों का कुल लक्षण आप कह सकते हैं।
कृषोदरी च विम्बोष्ठी दीर्घकेशी च या भवेत् । दीर्घमायुः समाप्नोति धनधान्यविवर्द्धिनो ॥
जो स्त्री कृशोदरी ( कमर की पतली ), बिंबफल के समान अधरों वाली और