Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 1243
________________ १०६३ कर हस्त रेखा ज्ञान लड़ने वाली, अपने मन की चलने वाली, दूसरे के अनुकूल रहने वाली, अनेक पाप कारिणी, रोने वाली, दूसरे के घर में घुसने वाली स्त्री अगर दस लड़कों की माँ भी हो तो उसे छोड़ देना चाहिये। यस्यास्त्रीणि प्रलंवानि ललाटमुदरं कटिः। सा नारी मातुलं हन्ति श्वसुरं देवरं पतिम्॥ जिसके ललाट, पेट और कमर ये तीन अंग लम्बे हों वह स्त्री मामा, ससुर, देवर और पति को मारने वाली होती है। यस्याः प्रादेशिनी शश्वत् भूमी न स्पृश्यते यदि। कुमारी रमते जारैः यौवनै नात्र संशयः॥ जिसके अंगूठे के पास वाली अंगुली पृथ्वी को न छूए वह स्त्री कुमारी तथा मौकाजस्था में दूसरे पुरुषों के सामाभिलार करती है, इसमें सन्देह नहीं। पादमध्यमिका चैव यस्या गच्छति उन्नतिम् । वामहस्ते ध्रुवं जारं दक्षिणे च पति तथा॥ जिसके पैर के बीच की अंगुली पृथ्वी से ऊपर रहे वह स्त्री, निश्चय ही, बौये हाथ में जार को और दाहिने में पति को लिये रहती है। उन्नता पिण्डिता चैव विरलांगुलिरोमशा। स्थूलहस्ता च या नारी दासीत्वमुपगच्छति॥ ऊंची, सिमटी हुई विरल अंगुलियों वाली रोयें वाली तथा छोटे हाथों वाली औरत दासी होती है। अश्वत्थपत्रसंकाशं भगं यस्या भवेत्सदा। सा कन्या राजपत्नीत्वं लभते नात्र संशयः॥ जिस स्त्री का जननेन्द्रिय पीपल के पत्ते के समान हो वह पटरानी पद को प्राप्त होती है—इसमें सन्देह नहीं।

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