Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 1248
________________ भद्रबाहु संहिता १०६८ पद्मिनी बहुकेशी स्यादल्पकेशी च हस्तिनी। शंखिनी दीर्घकेशी च, वक्रकेशी च चित्रिणी॥ बहुत केशों वाली स्त्री को पद्मिनी, कम केशों वाली को हस्तिनी, लम्बे केशों वाली शंखिनी, टेढ़े-मेढ़े केशों वाली को चित्रिणी स्त्री कहते हैं। वृत्तस्तनौ च पदमिन्याः हस्तिनी विकटस्तनी। दीर्घस्तनौ च शंखिन्याः चित्रिणी च समस्तनी॥ पद्मिनी के स्तन गोल, हस्तिनी के विकट, शंखिनी के लम्बे, और चित्रिणी के समान होते हैं। पद्मिनी दन्त-शोभा च उन्नता चैव हस्तिनी। शंखिनी दीर्घदन्ता च समदन्ता च चित्रिणी॥ पद्मिनी के दाँत शोभामय हस्तिनी के ऊँचे, शंखिनी के लम्बे और चित्रिणी के समान होते हैं। पधिनी हंसशब्दा च हस्तिनी च गजस्वरा। शंखिनी रूक्षशब्दा च काकशब्दा च चित्रिणी। पद्मिनी का शब्द हंस के समान, हस्तिनी का हाथी के समान, शंखिनी का रूखा और चित्रिणी का शब्द कौआ के समान होता है। पद्मिनी पदुमगन्धा च मद्यगन्धा च हस्तिनी। शंखिनी क्षारगन्धा च शून्यगन्धा च चित्रिणी ।। पद्यगन्ध से पद्मिनी, मद्यगन्ध से हस्तिनी, खारी गन्ध से शंखिनी एवं शून्य गन्ध से चित्रिणी जानी जाती है।

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