Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
ऐसी दशा है तो स्वभाव की एक दशा आदि भावुक तथा चिन्तनशील होती हैं जबकि दूसरी दशा में अपने मानसिक विचारों की सारी दुनियाँ के ऊपर प्रभाव डालने या शासन करने की इच्छा का अपने में पूर्ण विश्वास रखती हैं।
यद्यपि यह दोहरी मस्तिष्क रेखा एक हद दर्जे की मानसिक शक्ति प्रदान करती है। वह भी मैंने इस रेखा को दोहरी रेखा की अपेक्षा एक अकेली सीधी रेखा में अधिक पाया है।
दोहरी मस्तिष्क रेखा की दूसरी दशा में वह (Main line) विशेष रेखा बीच हथेली से अलग होती प्रतीत होती है। और जब कि एक शाखा सीधी हाथ के बीच में चली जावे तथा दूसरी शाखा नीचे चन्द्रमा के उभार की ओर को झुक जावे तो इस दशा में दोहरी मानसिक प्रवृत्तियाँ पाई जाती हैं। लेकिन एक मनुष्य की इच्छा अंकुश में अधिक रहती है। जबकि दो साफ बिल्कुल पृथक्-पृथक् रेखायें दो मानसिक प्रवृत्तियाँ रखती हैं। और दो ही एक-दूसरे से अनाश्रित चलती हैं।
प्राचीन काल में भी यह सोचा गया है कि दोहरी, बिल्कुल साफ दो रेखाओं में मस्तिष्क रेखा बहुत बड़े धन तथा शक्ति के रखने का ( Inlieutance) चिह्न है । जहाँ तक मैने ढूंढा यही अर्थ पाया कि यद्यपि उस मनुष्य के जीवन का आर्थिक फल या तो बहुत धन या शक्ति हो तो भी वह उसे अपने मानसिक अधिकार को पाता है न कि जन्म अधिकार से |
मस्तिष्क रेखा सात प्रकार के हाथों पर
सात प्रकार के हाथों में हर एक सातों प्रकार की जातियों में से किसी न किसी से अपने ही ढंग से मिलते हैं। सात प्रकार के हाथ
1. निम्न श्रेणी का, सीधा-सीधा (Elementry )
2. चौकोर, लाभदायक या अभ्यासी ।
3. कार्यशील या मल्हम लगाने के औजार के समान । 4. दार्शनिक ।
5. नुकीला या कलात्मक ।