Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
हैं और वे अत्यधिक भावुक होते हैं मैंने ऐसे मनुष्यों को कभी सफल होते नहीं देखा तक कि वे अकेले कार्य न करें। लेकिन वे यदि कभी व्यापार में साँझे आदि में मिलकर कार्य करे तो वे अपनी शान की कुचली हुई समझते है तथा वायदे के अनुसार साझा कभी-कभी सफल होता हैं इसके चिन्तन में विद्यार्थी को ध्यानपूर्वक यह देखना चाहिए। कि क्या सिर्फ अकेली एक ही रेखा हाथ के आर-पार चली गई हैं जहाँ पर कि मस्तिष्क रेखा स्वाभाविकता से होनी चाहिए या वह अंगुलियों की तरफ को कुछ ऊँची उठी हुई हैं जहाँ कि प्रायः हृदय रेखा पाई जाती है पहली दशा में वह दिल की अपेक्षा दिमाग तथा मानसिकता से अधिक सम्बन्ध रखती है लेकिन दूसरे स्थान पर वह मानसिकता की अपेक्षा प्रेम-उमंग व इच्छाओं की घनिष्ठता से सम्बन्ध रखती हैं।
मस्तिष्क रेखा से सम्बन्ध रखने वाले गुणों के चिह्न (Cross)
छोटे तथा स्पष्ट दिखाई देने वाले (Crosses ) चाहे वे रेखा को छूते हों या बिल्कुल उनके ऊपर को तो दिमाग की चोट के द्योतक हैं।
वृहस्पति के नीचे (Cross) (1 चित्र 7 ) उन चोटों का द्योतक हैं। जो कि उस मनुष्य को दूसरों पर शासन करने की इच्छा बहुत अधिक कट्टर तथा रूढ़िवादी होने से लगती हैं।
शनि के नीचे (2 चित्र 5 ) वाले (Cross) उन नुकसानों तथा चोटों को बतलाते हैं जो जानवरों के आक्रमण करने से दुष्टता के प्रहारों नीच प्रवृत्तियों आदि से लगती हैं। और विशेष कर दुष्ट प्रवृत्ति की चोटों के द्योतक हैं।
सूर्य के उभार के नीचे ( 3 चित्र 7 ) (Cross) उन चोटों के द्योतक होते हैं जो कि अचानक गिर जाने से जैसे कि मनुष्य ऊपर से गिरने में उसका सिर टकरा जायें तथा दिमाग के (Concussion) सदमे से लगती हैं।
बुध के उभार के नीचे (4 चित्र 7 ) (Crosses ) उन चोटों को दर्शाते है जो कुछ विज्ञान सम्बन्धी तजुबों या कुछ साहस या जोखिम का काम करते हुए सिर में लग जाती हैं। छोटे सुन्दर चतुर्भज रेखा को छूते हुऐ हों तो वे सब दशाओं में (Preservation) रक्षा के चिह्न और वे हर एक उभार की अपनी विशेषताओं से सम्बन्ध रखते हैं (उभार के परिच्छेद को देखें) ।