Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 1219
________________ १०३९ कर हस्त रेखा ज्ञान वर पउम संखसत्तिय भद्दा सणकुंकुसहिथ भय कुंभं। वसह गय छत्त चामर दीसहइ वज्जं च मगरं॥47॥ (वर) श्रेष्ठ (पउमसंख सन्तिय) पद्य, शंख, स्वस्तिक (भद्दासण कुंकुमत्थि भय कुंभ) भद्रासन, कुंकुं जलकाकुंभ (वसह गय छत्त चामर) बैल, हाथी, छत्र, चामर (वज्ज च मगरं च) वज्र, मगर, जिसके हाथों से (दीसहइ) दिखे और ! भावार्थ-जिसके भी हाथों में कमल, शंख स्वस्तिक भद्रासन, कुंकुं जल का कुंम्भ बैल हाथी, छत्र चामर, वज्र, मगर दिखे और47॥ * * Hickr THE STAR THE ISLAND BE TRIANGLE kxxx op THE CROSS THE SPOT THE GRILE THE SQUARE THE CIRCLE तोरण - विमाण केऊ जस्सेए होंति करयले पयडा। तस्स पुण रज्जलाहो होही अचिरेण कालेण ॥ 48॥ (तोरण विमाण केऊ) तोरण, विमान, केतु (जस्सेए होति करयले पयडा) जिसके भी हाथ में प्रकट दिखे तो (तस्सपुण रज्जलाहो) उसकोपुनः राज्य का लाभ होता है (अचिरेण कालेण होही) वह भी शीघ्र ही ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 1217 1218 1219 1220 1221 1222 1223 1224 1225 1226 1227 1228 1229 1230 1231 1232 1233 1234 1235 1236 1237 1238 1239 1240 1241 1242 1243 1244 1245 1246 1247 1248 1249 1250 1251 1252 1253 1254 1255 1256 1257 1258 1259 1260 1261 1262 1263 1264 1265 1266 1267 1268