Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा झान
दिमाग या मस्तिष्क की दोहरी रेखा मस्तिष्क की दोहरी रेखा (6-6 चित्र 7) उतनी ही कमी से पाई जाती हैं जितनी की एक रेखा सीधी हथेली के इस पार से उस पार को पाई जाती हैं।
मक:-
श्री
सागर
महाराज
चित्र संख्या 7 सब दशाओं में जब कि मस्तिष्क रेखा साफ तथा स्पष्ट रूप से दोहरी खींची हो तो मनुष्य दो मानसिक प्रवृत्तियाँ रखता है। वह मानसिक शक्ति के बहुत बड़े कार्य कर सकता हैं तथा उस श्रेणी का मनुष्य होता हैं जो की सरलता के साथ दो मानसिक प्रवृत्तियों को काम में ला सकते है। इसकी अक्सर एक रेखा जीवन रेखा से मिली होती है, तथा दूसरी वृहस्पति के उभार से आरम्भ होती है यदि