Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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| भद्रबाहु संहिता |
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के नीचे काग पद होता है तो (सो) वह (पुरिसो) पुरुष (पच्छिमम्मि काले) बुढ़ापे में (सूलेणविवज्जए) शूली दण्ड पाकर मरता है।
भावार्थ-जिस मनुष्य के अंगूठे के नीचे यदि काग पद हो तो वह पश्चिम काल में अर्थात् बुढ़ापा आने पर शूलारोहण (शूली दण्ड) के द्वारा मारा जाता है॥34॥
दाहिणहत्थंगुट्ठयमझेअ जवेण जाणदिण जायं।
वार्मगुट्ठ जवेणं णूणं जाणिज्जणिसि जायं ।। 35 ।। (दाहिणहत्थंगुट्ठयमझेअ) यदि दाहिने हाथ के अंगूठे में (जवेण) यव हो तो (जाणदिण जाय) ऐसा समझो कि उस व्यक्ति का जन्म दिन हुआ है (वामंगुट्ठ जवेणं णूण) अगर वही यव वाम अंगूठे में हो तो (णिसि जायं जाणिज्ज) रात्रि में उसका जन्म हुआ समझो।
भावार्थ----जिस मनुष्य के हाथ के दाहिने अंगूठे में यव हो तो उसका जन्म दिन में हुआ है, ऐसा समझो। और वाम अंगूठे में यव हो तो उसका जन्म रात्रि में हुआ है। 35 ।।
कनिष्ठि का अंगुली के नीचे की रेखा फल काणंगुलीइ हिढे रेहाओ जस्स जत्तिआ हुति।
तत्तियमितामहिलामहिलाण वि तत्तिआ पुरिसा ॥ 36॥ (जस्स) जिसके (काणंगुलीइ हिडे) कनिष्ठिका अंगुली के नीचे (जत्तिआ रेहाओ हुंति) जितनी रेखा हो (तत्तिय मितामहिला) तो उसके उतनी ही स्त्रियाँ होती (महिलाणवि तत्तिआ पुरिसो) तथा स्त्रियों के अगर ऐसा हो तो उसके भी उतने ही पति होते हैं।
भावार्थ-जिस मनुष्य की कनिष्ठिका अंगुली के नीचे जितनी रेखा हो तो उसके उतनी ही स्त्रियाँ होती है, और यदि महिला के ऐसा हो तो उसके भी उतने ही पति होते हैं।। 36 ।।