Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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२०१५
कर हस्त रेखा ज्ञान
ये जिह्न बराबर हो और विशेषकर उन स्थानों पर जबकि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से जुड़ी हुई हो तो भावुक प्रवृत्ति दिखाती हैं यह जिह्वाकार चिह्न अक्सर किसी राय की कमी (Cortain want of decision) बतलाता हैं वह मनुष्य दिमाग की आभ्यासिक तथा काल्पनिक प्रवृत्तियों को तोलने की ओर झुकता हैं ऐसी दशा में मनुष्य को अपने प्रथम प्रभाव के अनुसार कार्य करना चाहिये चाहे वह अभ्यास या कल्पना के क्षेत्र में किसी के भी हो ऐसा करने से वे दिमाग के (intuition) सहज ज्ञान को कार्य में लाते हैं और उसे प्रयोग में लाने से किसी भी प्रश्न को एक ही दफा में दोनों ओर से देखने या उसके विषय में अधिक सोचने में उसमें वह (Waver) झिझक नहीं पायेंगे।
जबकि मस्तिष्क रेखा कुछ नीचे की ओर चन्द्रमा के उभार की ओर झुकी हुई हो (चित्र 1-1-2) तो विचारों के ऊपर पूर्ण अधिकार होता हैं तब विद्यार्थी को यह मालूम हो जायेगा कि वह मानव सदा अपनी विचार-शक्ति को ही काम में लाता हैं जबकि वह उनसे संचालन होने की जगह उनसे कार्य लेना चाहता हैं लेकिन जबकि यह रेखा उभार की ओर अधिक दूर तक झुक जाती हैं (4-4 चित्र 2) तो इसका उल्टा हो जाता हैं ऐसी दशा में मनुष्य अपने विचारों का गुलाम होता हैं और प्राय: अद्भूत कार्य करता हैं या क्षणिक आवेश में कार्य कर सकता हैं इस दूसरी श्रेणी के मनुष्य कला तथा विचारों के क्षेत्र में कम कार्य दुनिया में करते हैं वनिस्वत उनके जिनके हाथ में यह रेखा सीधी तरह से इस उभार में झुकी तथा चली गई हो।
__ जबकि यह मस्तिष्क रेखा पूरी तरह से झुकी हुई तथा एवं झुकाव के साथ मुड़ी हुई (Luna) उभार के नीचे हो तो वह मनुष्य अत्यन्त {Mortied) अस्वस्थ विचार तथा इतनी अधिक भावुकता में अक्सर वह अपने को अपने साथ रहने वालों से अलग हो जाता है वैराग्य ले लेता हैं और एकान्त जीवन व्यतीत करता हैं या कभी-कभी अपनी आत्म-हत्या भी कर लेता हैं अधिकतर आत्मघात ही ऐसे जीवन का अन्त होता हैं उनकी अत्यधिक भावुकता उनकी जीवन-यात्रा को दुःख पूर्ण बना देती हैं यह विचार केवल मस्तक रेखा के नीचे की ओर से झुकाव जो कि उभार के ऊपरी हिस्से में का ही हैं दृढ़ न कर लेना चाहिए (4-4 चित्र