Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
१०२१
कर हस्त रेखा ज्ञान
यदि द्वीप चौथी अंगुली या बुध के उभार के नीचे हो तो मनुष्य वृद्धावस्था में दिमागी कमजोरी तथा बहुत ही दुर्बल स्वभाव का तथा चिन्ताग्रस्त होता हैं। यदि बहुत से द्वीप हो तो वह मनुष्य उस पागलपन में जो कि चिन्ताशील स्वभाव या मानसिक शक्तियों पर बहुत अधिक दबाव होने से जकड़ जाते हैं। इस प्रकार यह देखा जाता है कि इस रेखा को उसके विषय में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए भविष्य के लिए भविष्यवाणी करने के लिए उसे हिस्सों में विभाजित करना उचित हैं। आगे यह रेखा और भी बाँटी जा सकती हैं यह देखने के लिये कि किस उम्र में मानसिक स्वभाव बदलेगा या बदलने की आशा की जा सकती है।
प्रथम अंगुली के नीचे 21 वर्ष तक का समय आता हैं दूसरी भाग अर्थात् दूसरी अंगुली के नीचे 42 वर्ष तथा तीसरी अंगुली के नीचे 49 से 63 साल तक और चौथी अंगुली के नीचे 69 से ऊपर तक की आयु का समय होता हैं।
मस्तिष्क की रेख में परिवर्तन
इस रेखा के अध्ययन में दूसरा दिलचस्प चिह्न उसके स्थान का परिवर्तन है या उसमें से निकलने वाली या उसमें मिलने वाली रेखायें जो कि एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन कर देती हैं। उदाहरणार्थ यदि मस्तिष्क रेखा अपने पथ में कुछ मुड़ी हुई या झुकी हुई हो तो ( 11 चित्र 5 ) उस मनुष्य के जीवन में उसी अवस्था में कुछ बाहरी आकस्मिक प्रभाव पड़ेगा यदि यह टेढ़ापन साफतौर से दृष्टिगत हो तथा उस पर दौरे के समान निशान दिखाई न दें तो वह मनुष्य यद्यपि बिल्कुल ही उल्टे अभ्यास की ओर हो स्थिति से ऊँचा उठ जाता हैं। और कुछ समय के लिए अभ्यास या व्यापारिक दृष्टिकोण जो कि उसकी प्रकृति के विपरीत हैं। उसमें उन्नति करता हैं। यदि टेढ़ेपन के स्थान पर कोई स्पष्ट रेखा मस्तिष्क रेखा से ऊपर की ओर जाती हुई दिखाई दे (2-2 चित्र 5) तो उस समय का मनुष्य की भावी जिन्दगी पर प्रभाव पड़ जाता हैं कुछ स्थानों पर ये सुन्दर रेखायें कुछ वर्ष पश्चात् अधिक स्पष्ट दिखाई देती हैं और कभी-कभी मस्तिष्क रेखा बन जाती हैं इससे मालूम होता है कि वह मनुष्य अपनी प्रकृति का आभ्यासिक क्षेत्र जो कि उस काल में उत्पन्न होता हैं, में उन्नति करता रहता हैं। यदि विद्यार्थी इस मस्तिष्क रेखा को