Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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मनुष्यों से भागना या स्वयं अपने जीवन पर अधीनता करना चाहता है। विद्वान मनुष्य उसको "थोड़े समय के पागलपन में बह गया" कहते हैं। दूसरी वस्तु द्वीप वाली मस्तिष्क रेखा के विषय में देखने योग्य उनका स्थान हैं या किस अंगुली के नीचे वे दिखाई देते हैं जब यह द्वीप मनुष्य को बाल्यकाल में मानसिक नाजुकता होती हैं उसमें कोई इच्छा शक्ति पढ़ने की इच्छा नहीं होती। दूसरी अंगुली या शनि के उभार के नीचे (4 चित्र 4) तो वह मानव इसके विपरीत सिर दर्द, उदासीनता, अस्वस्थता दिमाग के नीचे के भाग में जलन अथवा सूजन से ग्रसित रहता हैं यदि रेखा दुर्बल तथा इसके पश्चात् शाखाओं में विभाजित होती हुई दिखाई दे तो वह मानव कभी भी पूर्ण रूप से इस बीमारी से ठीक नहीं हो सकता। यदि यह द्वीप तीसरी अंगुली के नीचे अर्थात् सूर्य के उभार नीचे हो तो (5 चित्र 4) मनुष्य छोटी दृष्टि (Short sight) तथा तेज रोशनी की कमी से ग्रसित होता हैं। यदि ऐसे ही बहुत द्वीप हो तो वह प्राय: अन्धा या नेत्रों से दुर्बल होता हैं।
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-4 चिनव्या