Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता |
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अपने आपको हर एक कार्य में आगे रखने की कोशिश करेगा बदनामी से यश पाने के लिये बहुत इच्छा होगी तथा लगातार अपने विचार तथा उपायों को बदलने वाला होगा जहाँ तक कि दुनिया का सम्बन्ध हैं जबकि यह रेखा बहुत ही अधिक जीवन रेखा से दूर हो तब दिमाग बहुत जल्दी गर्म होने वाला होता हैं वह मनुष्य दिमाग में अधिक खून के होने से दिल का दौर, नींद का न आना तथा और सब चीजें जिनसे दिमाग पर असर पड़ता हैं तकलीफ उठाता है यदि मस्तिष्क रेखा द्वीपों से बुरी आच्छादित हैं या टूटी हुई नौर जंजीरवाः बौड़ी रेल हो (1-1 चिन 4) तो यह एक-दूसरे प्रकार के पागलपन की निशानी है जैसे कि मस्तिष्क रेखा द्वीपों से आच्छादित रखने वाला मानव गुस्से वाला गुस्से में वह जाने वाला तथा दूसरे को जान से मार बैठने वाला मानव होगा एक मस्तिष्क रेखा बहुत अधिक दूर पर नहीं तथा उसका एक सिरा (Jupiter) वृहस्पति के उभार से शुरू होने या उसकी असली शाखा वृहस्पति के उभार से निकले (4-4 चित्र 3) तो सबसे
वित्र सरम्या-3