Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा ज्ञान
हुए व्यतीत कर देता हैं। यह मनुष्य जिनकी मस्तिष्क रेखा खुली हुई तथा कुछ ऊपर को बढ़ी हुई या मानशिक शुक्र के उभार की ओर या उसकी तरफ हो तो स्वयं निर्वाचित नेता सार्वजनिक जनता में गड़बड़ी फैलाने वाला (Organiser of the Public Movement) होगा (3-3 चित्र) उन्होंने जिस कार्य को आरम्भ किया हैं और उसके सम्बन्ध (Duty) को पूरा करने में हर वस्तु-घर के प्यार तथा सारे बन्धनों का बलिदान कर देंगे।
चित्र सरल
बहुत खुली हुई मस्तिष्क रेखा तथा जीवन रेखा से अलग बहुत कम भावुकता को प्रदर्शित करती हैं (4-4 चित्र 3) वह मनुष्य इसकी उल्टी हद पर पहुँच जायेगा यदि उसकी मस्तिष्क व जीवन रेखा जुड़ी हुई हैं जबकि जगह अधिक चौड़ी होगी तो वह मानव अपने में बहुत क्रोध तथा शृंखलाबद्ध अभिप्रायों की कमी पावेगा