Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा ज्ञान
अधिक तेजस्वी निशान है विद्यार्थी को मस्तिष्क रेखा का यह फर्क अपने दिमाग में सोच लेना चाहिये साथ ही साथ उसका रास्ता तथा अन्त भी यदि उनसे इन दो बिन्दुओं को भली प्रकार से समझ लिया जाय तो इस विषय की कुन्जी ही उसके पास हो जायेगी यदि उसने इस भाग का अध्ययन पूर्णरूप से कर लिया तो उसकी नींव पक्की होगी।
मस्तिष्क रेखा तथा उसके और साथ के निशान मस्तिष्क रेखा पर दीप बहुत ही महत्त्वपूर्ण होते हैं जबकि यदि इनका जन्मकाल का सम्बन्ध जीवन तथा मानसिकता के साथ विचारा जाय।
सबसे प्रथम विद्यार्थी को यह याद रख लेना चाहिये कि एक द्वीप किसी भी रेखा पर कमजोरी तथा भाग्यहीनता का द्योतक हैं जबकि यह सारी मस्तिष्क रेखा पर एक जंजीर में एक साथ पायें जायें (1-1 चित्र 4) तो वे मानसिक कमजोरी जो कि दुर्बल स्वास्थ्य से बनती हैं, बतलाता हैं।
ऐसी मानसिक दुर्बलता या दिमाग की बीमारी यदि नाखून के छोटे चन्द्रमा से भी पाई जाये तो वह खून कमी (Anomic Condition) जो कि दिमाग पर असर करती हैं, खून का बुरा दौरा जो कि दिमाग को खून-खून की कमी से बढ़ने या इच्छा शक्ति के प्रयत्न करने से रोकती हैं और उसको अस्थिर दशा में कार्य करना पड़ता हैं।
यदि उसी के साथ-साथ मस्तिष्क रेखा हाथ में बहुत ऊँचे की होकर जावे तो यह दशा और भी बुरी हैं और वह मनुष्य किसी समय में “आधा पागल" (Half mad) हो जाता हैं।
जबकि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से बहुत दूर हो तो इस जंजीरदार रेखा का इलाज बहुत कठिन हो जाता हैं व उसका प्रभाव बहुत ही दृढ़ होता हैं वह मनुष्य मानसिक उद्विग्नता से कुछ काम रखता हैं जो कि उसके काबू से बाहर हो जाते हैं और ऐसे समय में वह बचकर निकल जाते तथा पागलपन के और बुरे-बुरे कार्य करते हैं जो कि प्राय: दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले होते हैं।
जब मस्तिष्क रेखा बहुत झुकी हुई हो (2-2 चित्र 4) तथा उस पर द्वीप हो तो उस मनुष्य को उदासीन तथा दबाव के दौरे आते हैं जिनमें कि वह दूसरे