Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भदबाइ महिना |
जहाँ तक स्वास्थ्य का सम्बन्ध है—ऐसे मनुष्य बाल्यावस्था में हल्के तथा नाजुक होते है लेकिन प्राय: बीच का जीवन बीत जाने पर मोटे हो जाते है दोनों स्त्री तथा पुरुष को विशेषकर युवावस्था में अपनी जाति (Sex) की बीमारियाँ तथा कमजोरियौं हो सकती है और आगामी उम्र में गुर्दे तथा मूत्राशय की बीमारी तथा पेट आमाशय का खराब होना हो सकता है। अपने सारे जीवन ऐसे मनुष्यों को अपने भोजन के सम्बन्ध में ठीक तथा हिफाजती होना चाहिए।
शनि का उभार और उसके अर्थ शनि का उभार दूसरी अंगुली के नीचे हैं। इसकी विशेषताएं एकान्त प्रियता, बुद्धिमत्ता, शान्त इरादा गम्भीर वस्तुओं का अध्ययन, भाग्य पर भरोसा तथा ईश्वरीय सत्ता में विश्वास है। इस उभार का बिल्कुल न होना जीवन को ओच्छी, हल्की दृष्टि से देखना हैं जबकि इसका बहुत होना अपनी विशेषताओं को बहुत बढ़ा देता है।
शनि का उभार (Positive) तब समझा जाता हैं जबकि मनुष्य इक्कीस दिसम्बर तथा बीस जनवरी के बीच में पैदा होता है। इन दिनों में उत्पन्न होने वाले मनुष्य दृढ़ मानसिक इच्छा शक्ति रखते हैं लेकिन वे प्राय: अपने जीवन को बहुत एकान्त महसूस करते हैं वे वातावरण तथा भाग्य के हाथों का खिलौना होते हैं जिनके ऊपर वे कोई अधिकार नहीं रखते और वे अपने जीवन-पथ को दृढ़ इच्छाओं से स्वतन्त्रता पूर्वक बनाते हैं।
स्वभाव में वे अपने कार्य तथा विचारों की स्वतन्त्रता में आश्चर्यजनक होते हैं वे दूसरों के प्रभाव में आना भी पसन्द नहीं करते वे दया व सहानुभूति के लिए सब कुछ करते हैं। लेकिन वे कभी-कभी इतना अकेलापन महसूस करते हैं कि जो स्नेह तथा प्रेम उन्हें दिया जाता है उसमें कठिनता से विश्वास करते है। वे कर्त्तव्य तथा प्रेम के अनोखे विचार रखते है और इसी कारण जो मनुष्य उनके एकान्त जीवन में घुसना चाहते हैं वे उनके अजीब कहे जाते हैं।
वे गहरे त्याग की प्रकृति रखते हैं हालांकि वे धार्मिक नहीं होते। वे अच्छे कामों के लिए सब कुछ करते हैं हालांकि उनके कार्य के लिए कोई पुरस्कार अथवा यश उन्हें प्राप्त नहीं होता।