Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
८२६
हेमंतम्मिय उण्णं गिम्हे
सीयंपुमच्चए सूरो । लोसस्स वाहि मरणं काले कालेणसंदेहो ॥ ९ ॥ (हेमंतम्मिय उण्णं) यदि सूर्य हेमन्त ऋतु में गर्मी छोड़े (गिम्हे सीयंपमुच्चएसूरो) और ग्रीष्म ऋतु में ठण्डी छोड़े तो (कालेकाले ) समय-समय में (लोयस्स वाहिमरणं) लोगों का बीमारी से मरण होगा (णसंदेहो ) इसमें कोई सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ — यदि सूर्य हेमन्त ऋतु में अत्यन्त गर्मी छोड़े, और ग्रीष्म ऋतु में ठण्डी छोड़े तो समझो वहाँ पर समय-समय पर बीमारी से लोगों का मरण होगा ॥ ९ ॥ उदयच्छमणो सूरो अग्निफुलिंगेवणाय मुच्चंतो । दीसिज्ज जम्हिदेसे तम्हि विणासो णिवेदेदि ॥ १० ॥
( उदयच्छमणोसूरो) यदि उगता हुआ सूर्य (अग्निपुलिंगवणायमुच्चंती) अग्नि की स्फुलिंगे छोड़ता हुआ (दीसिज्ज ) दिखे तो ( जम्हिदेसे तम्हिविणासो णिवेदेदि ) उसी देश में विनाश होता है ऐसा निवेदन किया है।
भावार्थ----यदि उगता हुआ सूर्य अग्नि की स्फुलिगें छोड़े, ऐसा दिखे तो समझो उसी देश में विनाश होता है, ऐसा निवेदन किया है ।। १०॥
अहणिप्पहोवा दीसइ उच्छंतो धुलि धूसरो छायो । सो कुणइ राइमरणं वरिसदिणन्तरे
सूरो ॥ ११ ॥ (सूरो) यदि सूर्य की ( छायो ) छाया ( अहणिष्पहोव दीसइ) धूम सहित दिखे ( उच्छंतो धूलि धूसरी) और धूल से धूसरित दिखे तो (सो) वह ( वारिसदिणब्धंतरे ) एक वर्ष के अन्दर (राइमरणं कुणइ ) राजा का मरण सूचित करती है।
भावार्थ-यदि सूर्य उदय के समय घूँए से सहित वा धूल से धूसरित सूर्य दिखे तो एक वर्ष के अन्दर राजा का मरण होगा ऐसा सूचित किया है ॥ ११ ॥
उदयच्छमणे सूरो बक्को इव दीसइएणहयलम्मि |
सो अइरेणयसाहदि मंतिवहरायमरणं च ॥ १२ ॥
(सूरो) यदि सूर्य ( उदयच्छमणे ) उदय अस्त के समय ( वक्को इव दीसइ) टेड़ा हो रहा है, ऐसा दिखे (एणहयलम्मि) वा वक्र दिखे तो (सो) वह (अइरेणयसाहदि ) शीघ्र ही ( मांति वहरायमरणं च ) राजा व मन्त्री के मरण को सूचित करता है।