Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
भद्रबाहु संहिता |
८३६
(जे मंडलायपछिया) जो पहले मंडल (सूरो ससिणोयतित्तियचिवा) सूर्य और चन्द्रमा के ग्रह कह आये हैं (वरसुप्पाइणिमितं) वह सब श्रेष्ठ निमित्त (ते सव्वेहुंतिणायव्वा) कहे गये हैं।
भावार्थ-जो सूर्य और चन्द्रमा के मण्डल आचार्य ने कहे हैं वह सब निमित्त है, ऐसा जानना चाहिये।। ४१ ।।
पव्वणिरहिओ चंदोराहूणय गाढिनूपयासिज्जू।
सोकुणइ देशपीई भयं च रणाणिवेदेहि॥४२॥ (पव्वणिरहिओ चंदो) पर्व से सहित चन्द्रमा में (राहूणयगाढि नूपयासिज्जू) राहु के ग्रहण लगे हुऐ के समान दिखे तो (सो कुणइ देश पीडं भयं च) वह देश को पीड़ा और भय उत्पन्न करता है (रणाणिवेदेहि) ऐसा निवेदन किया है।
भावार्थयदि चन्द्रमा पर्व रहित राहु से ग्रसित के समान दिखे तो देश को भय और पीड़ा होगी ऐसा समझो॥४२॥
मेहाणय जेणूवाजे भणिया पढमसूरजोयस्स।
तेविय ससिणोसव्वेणायव्वावण्ण तूवेण ।। ४३ ।। (मेहाणयजेणूवाजे भणिया पढमसूरजोयस्स) जो मेघालय पहले सूर्य के कह आये हैं (तेवियससिणोसव्वेणायब्वा) वह ही चन्द्रमा के जानने चाहिये (वण्ण तूवेण) ऐसा कहा है।
भावार्थ-जो मेघालय सूर्य के पहले कहे थे, वह ही चन्द्रमा के जान लेना चाहिये॥४३॥
उत्पातयोगप्रकरण अहअंतरिक्ख सद्दो सुव्वड़ बहुयाण वेवपुरिसाणं।
पंचममासे मारी होई देसेणसंदेहो॥४४॥ (अहअंतरिक्खसद्दो) जब आकाश में शब्द (सुब्बइ बहुयाण वेवपुरिसाणं) बहुत पुरुषों का सुनाई पड़े और मनुष्य कोई नहीं दिखे तो उस (देसे) देश में (पंचममा से मारी होई) पाँचवें महीने में मारी रोग उत्पन्न होगा (णसंदेहो) इसमें कोई सन्देह नहीं है।