Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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हस्त रेखा ज्ञान
कि प्रभाव कितने दिनों तक रहेगा तथा ठीक वर्ष तिथियों के परिच्छेद से मिलेगा यह प्रभावशाली रेखायें प्रथम वाली रेखाओं भाग्य-रेखा से मिलने वाली के समान प्रभाव नहीं रखती।
___ बच्चों को बताने वाली रेखायें उसी जाति (स्त्रीलिंग) की होगी या पुलिंग तथा उनसे सम्बन्धित दूसरी बातें ये रेखायें ठीक शादी की रेखा के ऊपर खड़ी होती हैं (12 चित्र 18) इन रेखाओं को देखने का सही तरीका यह है कि दो अंगुलियों से इस स्थान को थोड़ा खींचा जाय और तब देखा जाय इनमें से कौनसी अधिक स्पष्ट हैं।
यह कभी-कभी बुरी प्रकार से बनी होती हैं और अधिकतर एक स्त्री के हाथ ए बनिस्बत पुरुष के अधिक गहरी होती हैं, कुछ स्थानों पर ये रेखायें दूरबीन लगाकर भी देखी जाती हैं।
चौड़ी और गहरीरेखायें लड़के बतलाती हैं पतली तथा सुन्दर रेखायें लड़कियौं ।
जब वे सीधी रेखा सी दिखाई पड़े तो बच्चे मजबूत तथा तन्दुरुस्त होगे जब वे टेढ़ी-मेढ़ी या हल्की हों तो बच्चे सदा नाजुक होंगे जबकि इस छोटी रेखा के प्रथम भाग पर (शादी की रेखा से ऊपर को लेते हुए) एक छोटा द्वीप बना हो तो वह बच्चा अपने बाल्यकाल में अधिक कमजोर तथा नाजुक होगा लेकिन यदि द्वीप के पश्चात् रेखा अच्छी तथा मजबूत है तो वह बच्चा तन्दुरुस्त तथा मजबूत हो सकता हैं। यदि द्वीप पर टूट या खत्म हो जाता है तो वह बच्चा कभी पनपेगा नहीं।
जब एक रेखा औरों से अधिक स्पष्ट तथा साफ हो तो वह बच्चा अपने पिता पर अधिक होगा तथा दूसरे बच्चों से अधिक सफल होगा।
बच्चों की ओर को गिनना चाहिए। यदि मनुष्य के हाथ में मंगल के उभार बहुत चपटा हो या बुरी (Poorly) प्रकार से उभार हो तो उसके कोई सन्तान नहीं होती और यदि प्रथम मणिबन्ध (Bracelet) धनुष के समान हथेली की ओर को उभार हो तो वह अधिक निश्चित हो जाता है कि वह मनुष्य निःसन्तान हैं।
[इति प्रथमोऽध्यायः समाप्तः]