Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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हस्त रेखा ज्ञान
गुरु के उन्नत पर्वत का झुकाव द्वितीय मंगल क्षेत्र की ओर हो तो पुरुष जातक त्वचा-रोगी, अविवेकी, पाखंडी निरुत्साही तथा अविश्वसनीय होता है। यदि किसी स्त्री के हाथ में ऐसा हो तो वह साध्वी, गंभीर, सच्चरित्रा परन्तु अहंकारिणी होती है।
गुरु के उन्नत पर्वत का झुकाव राहु-क्षेत्र की ओर हो तो जातक धनी, यशस्वी, पराक्रमी, धर्मात्मा एवं सौभाग्यशाली होता है ऐसे पुरुष की पत्नी सच्चरित्रा, सद्गुण सम्पन्न, परन्तु अपव्ययी होती है।
__ यदि गुरु तथा मंगल दोनों पर्वत अन्य ग्रह क्षेत्रों से अधिक उन्नत हों तो जातक धूर्त, विश्वासघाती ऊपर से प्रसन्न तथा एकान्त में उदासीन रहने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति मेघावी स्वस्थ तथा उच्चपदाधिकारी भी पाये जाते हैं।
__गुरु तथा शुक्र दोनों पर्वत अन्य ग्रह क्षेत्रों से अधिक उन्नत हों तो जातक बलवान्, कुतर्को, असत्यवादी, दुराचारी, शत्रुयुक्त तथा स्त्रियों के साथ रहते हुए भी उनसे अन्यत्र प्रेम रखने वाला होता है।
यदि गुरु तथा चन्द्र दोनों पर्वत अन्य ग्रह क्षेत्रों से अधिक उन्नत हों तो जातक धनी, गृणी, यशस्वी तथा नीतिज्ञ होता है। ऐसी स्थिति में यदि बुध का पर्वत दबा हुआ हो तो जातक बड़ी-बड़ी योजनाएं तो बनाता है। परन्तु वे असफल रहती है।
___ यदि गुरु क्षेत्र उच्च तथा राहु क्षेत्र निम्न हो तो जातक अनेक दुर्गणों से युक्त होता है।
शनि क्षेत्र-शनि क्षेत्र सामान्य उन्नत तथा शुभ स्थिति में हो तो जातक गुप्त विद्याओं का ज्ञाता, एकान्तप्रिय, दानी, सदाचारी, परोपकारी तथा बाग बगीचे का शौकीन होता है। वह अपनी पत्नी से दुःखी रहता है तथा अन्य स्त्रियों से भी विशेष प्रेम नहीं करता। परन्तु यदि इसके साथ ही शुक्र क्षेत्र पर क्रास अथवा जोल चिन्ह हो (चिन्हों के विषय में आगे लिखा जायगा) तो जातक कृपण तथा स्त्रियों में विशेष प्रेम करने वाला होता है, लेकिन वह अपने जीवन में उन्नति नहीं कर पाता।