Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा जान
शक्तियाँ उतनी तेज शायद ही कभी होती हों जितनी कि (Positive) उभार में होती हैं।
- इनके विपरीत ये मनुष्य व्यापार के शुरू करने के सम्बन्ध में शान्त तथा अच्छे सोचने वाले होते हैं। और सरकारी कार्यों में दक्ष होते हैं। वे कहकमों के सरदार बन जाते हैं और आसानी से किसी भी उत्तरदायित्व को ले लेते हैं।
वे उच्च विचार रखते हैं तथा सामाजिक जीवन कर्त्तव्य तथा प्रेम के सम्बन्ध में निश्चित विचार रखते हैं। दूसरों के लिए भलाई करने के लिये ये कार्य करते हैं। लेकिन उनका सबसे अच्छा कार्य व्यक्तिगत सहायता देना है। वे बहुत ही दयालु होते हैं। तथा सदा दूसरों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन साथ ही साथ अभाग्यवश बहुत से कट्टर दुश्मन भी बना लेते है। और जब वे सरकारी पद पाते हैं तो विरोधियों से सताये जाते हैं।
बहुत कम उनके कार्य पूरा यश तथा पुरस्कार नहीं पाते हैं। जब तक कि वे या तो प्रभावी पद से हट नहीं जाते या इस कृतघ्नी तथा अविश्वासी दुनिया को ही छोड़ देते है। अधिकतर ये अपने किसी भी विशेष विषय में भाषण देने वाले होते हैं। किन्तु होते स्पष्ट वादी हैं। विधि अनुसार ये लड़ाई में बदनाम के कारण को छोड़ कर (Under dog) मशहूर की ओर से हिस्सा लेते हैं।
जब उनकी मित्रता उमड़ती हैं, तो वे सच्चे तथा वफादार मित्र बनाते है, लेकिन साथ ही साथ जिनकी वे परवाह करते हैं। उनसे आसानी से ही भावों में घायल हो जाते हैं क्योंकि वे भावुक होते हैं वे बहुत ही धार्मिक होते है और अपने सारे कार्यों में धर्म को लाना चाहते हैं वे बहुत ही भाग्य को मानने वाले हो जाने के खतरे में है और जब विरोध किया जाता है तो कट्टर, जिद्दी तथा काबू के बाहर हो जाते है। उनको भारी उत्तरदायित्व यदि सरकारी काम तथा किसी प्रबन्ध के रूप में आ जावे तो ठीक है।
स्वास्थ्य-अधिकतर ऐसे मनुष्य अपने को बुरी तन्दुरुस्ती में तंग कर डालते हैं वे हद से ज्यादा काम करते हैं और दिमाग पागल हो जाता हैं दिल की धड़कन तथा कमजोरी बढ़ जाती हैं और अक्सर फालिज पड़ जाता हैं, वे पेट की बीमारी खून की खराबी, वायुरोग, जिगर तथा गठिया के शिकायती बने रहते हैं वे अधिकतर