Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु मंहिता
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प्रेम करते हैं और उनके स्वप्न तथा कल्पनायें स्पष्ट तथा रंगे हुए होते है। ऐसे मनुष्य अपने नक्षत्र के प्रति अधिक आकर्षित होते है और जबकि चन्द्र नक्षत्र आकाश में चमकता है तो अधिक सफल होते है। उनका स्वास्थ्य भी इस काल में सुधर जाता हैं। इसलिये उससे कहा जाता हैं कि जब उनका चन्द्र नक्षत्र आकाश को आलोकित करता हो तो उन्हें अपना कार्य तथा इरादे आरम्भ करना चाहिये।
इसमें थोड़ी भी शक नहीं कि चन्द्र का पृथ्वी के कार्यों पर प्रभाव डालता हैं, और दिन-प्रतिदिन की खोज से ज्ञात हो रहा है। कि अपनी चुम्बक के समान आकर्षण शक्ति से जड़ वस्तुओं तक को आकर्षित करता है। यदि चन्द्रमा, शाक, भाजी, अण्डे तथा मुर्गियों के विकास में प्रभाव डालता है तो कह नहीं सकते कि वह जितनी आसानी से मनुष्य दिमाग की मज्जा, जो कि बहुत ही गुप्त तथा सूक्ष्म है, पर प्रभाव डालता हैं। इस काल में उत्पन्न होने वाले मनुष्यों को दूसरों के प्रति सतर्क रहना चाहिये क्योंकि वे दूसरों की आकर्षण शक्ति के प्रति अत्यधिक भावुक होते हैं।
यदि सम्भव हो सके तो उन्हें शीघ्र अल्पायु में शादी नहीं करनी चाहिये। जब तक कि वे अपने दाम्पत्य सम्बन्ध पर पूर्ण यकीन न कर लें। उन्नति तथा परिवर्तन बहुत शीघ्रता से बढ़ते है। जिनसे वे आरम्भिक जीवन में सम्बन्ध रखते है, तथा बाद में, उससे कतरा जाना चाहते हैं। यही साँझे के व्यापार में भी होता है, जहाँ तक सम्भव हो उन्हें अकेले ही व्यापार करना चाहिए। और यदि सांझा हो भी तो बहुत बन्धन का न हो और जब साँझा दुःखदायी हो जाये तो उसे तोड़ डालना चाहिए।
स्वास्थ्य-ऐसे मनुष्य पानी तथा सूरज की बीमारियाँ रखते हैं। आरम्भिक काल में दिमाग में पानी का आना पेचिश के आक्रमण तथा बाद के जीवन में फेफड़ों, छाती की सूजन तथा जलन्धर आदि रोग हो जाते हैं।
चन्द्र का (Nagative) उभार जबकि मनुष्य 21 जनवरी तथा 20 से 27 फरवरी तक की तारीखों में उत्पन्न होता हैं या हथेली पर बहुत ही चहटा हो तो (Nagative) होता हैं। इन तारीखों में उत्पन्न होने वाले मनुष्य अच्छी मानसिक शक्तियों रखते हैं लेकिन उनकी विचार