Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा जान
माँगों में तनिक-सा भी विरोध देखते हैं, तो केवल अपने ही रास्ते को देखते हैं। वे मर्यादा वाले तथा उच्च विचारों के होते हैं। और वे अपने में विश्वास का उत्तर देते हैं।
वे प्राय: बहुत ही सच्चे होते हैं किन्तु किसी भी धोखे पर बुरी प्रकार से मनाकर देते हैं और दूसरों को धोखा देने के लिए कोई भी कार्य करने में नहीं हिचकते, चाहे उनके स्वयं के कार्य ऐसा करने में क्यों बिगड़ जाये। वे व्यापार में बहुत उद्यमी एवं साहसी होते हैं तथा उन कार्मों में जिनमें कि संगठन की आवश्यकता होती है और आसानी से ही व्यापार के सिर बन जाते हैं तथा सरकार के या सरकार के अधीन दफ्तरों में उत्तरदायी जगह पाते हैं। ये विशेषतः राजनीतिक कार्यकर्ता बनते है कारण यह है कि ये किसी भी सभा की बातों को आसानी से नहीं मानते।
ये अपने जीवन पथ चुनने में सबसे स्वतन्त्र है इसी कारण बाल्यावस्था में ऐसे मनुष्य अपने माता-पिता के लिए चिन्ता का कारण होते है अत: उन्हें अपना जीवन पथ स्वयं चुनने देना चाहिए चाहे वे उसे दर्जनों बार क्यों न बदलें। जबकि वे अपना सच्चा पेशा न पा जाय। इसका सबसे बड़ा अवगुण यह है कि वे हर एक चीज की हद तक पहुंच जाते हैं। ऐसा करने में अपना परिश्रम व्यर्थ नष्ट करते हैं। लेकिन यदि मस्तक रेखा सीधी हथेली के आर-पार हो तो स्थिति तथा उत्तरदायित्व की ऐसी कोई ऊँचाई नहीं कि जहाँ कि वे न पहुँच सकें।
स्वास्थ्य--ऐसे मनुष्य अधिकांशत: गठिया या वायु रोग से अधिक ग्रसित रहते हैं। तथा जीभ गले की जलन और खाल की बीमारियों भी उन्हें हो जाती
वृहस्पति का Negative उभार यह वृहस्पति का उभार यदि मनुष्य ग्यारह फरवरी और बीस मार्च या 29 मार्च का उत्पत्र होता है तो Negative माना जाता है। तब इच्छायें सांसारिकता की अपेक्षा मानसिक रूप धारण कर लेती हैं। उनको दिमाग की उन्नति तथा दिमाग का कार्य ही विशेष होता हैं वे चीजों की एक वास्तविक समझ रखते हैं तथा हर वस्तु के विषय में शीघ्र ही ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं और विशेषकर ऐतिहासिक-जातियाँ,