Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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वे प्राय: किसी सभा के नेता जनता की राय के नेता तथा सरकारी कामों में भी जाते है। वे प्रायः (Under day का सा देते हैं। नामा पनी एवं शक्तिशाली मनुष्यों की घृणा तथा गालियाँ मोल ले लेते हैं। ये (Pasitive) उभारों वालों के सदृश्य बहुत धनी नहीं होते हैं, और जब वह गरीब मनुष्यों या अपने चारों ओर रहने वालों को मदद देने झुकते हैं तो अपने आपको शक्तिवान बना देता है। इसके प्रत्यक्ष विपरीत ऐसे मनुष्य व्यापार तथा धन सम्बन्धी विचारों में बहुत अच्छे होते है। उनमें से बहुत-से तो दूसरों के लिए खूब धन कमा देते हैं और अपने सिर एक कौड़ी भी उसमें से नहीं रखते है।
विधि अनुसार वे जनता की सभाओं तथा उत्सवों में अधिक प्रसन्नता पाते हैं। वे थियेटर तथा जहाँ भी अधिक संख्या इकट्ठी हो ऐसे स्थानों को बहुत प्रसन्द करते हैं। और जब अवसर पाते हैं, अपनी बहस करने तथा व्याख्यान देने की शक्ति को प्रदर्शित करते हैं। वे बहुत कम अपने जीवन पथ को पूरा करने के लिए (Position) स्थिति रखते है किन्तु हाँ वे क्षणों के साथ खेलते हैं, और जब वह बीत जाता है तो बहुत ही शीघ्रता से अपने जीवन में वापिस आ जाते हैं। और प्राय: उनके दिन अनजान (The Secsetplace) जगहों में व्यतीत करते है। (Positive) प्रकार के बिल्कुल विपरीत ये मनुष्य आत्मघात करते हैं, और किसी भी प्रकार का दुःख सहन कर लेते हैं। वे अपने आश्रित जनों के प्रति अपना कर्तव्य करके बहुत प्रसन्न होते हैं और यही प्रसन्नता का भाव उन्हीं सारी निराशाओं अपशय तथा हानियों से भी जीवित रखता हैं।
स्वास्थ्य-ऐसे मनुष्य अधिकतर आन्तरिक आँते तथा पेट के मरीज होते हैं, तथा खून का दौर भी ठीक नहीं होता है स्वाभाविक गर्मी की कमी गुर्दो तथा जिगर की शिकायत रखते हैं प्राय: घुटनों तथा अंगों की हड्डियों में आकस्मिक चोट आ सकती हैं। सब बीमारियों के लिए सूखी जलवायु तथा तेज सूर्य की रोशनी ही अच्छा इलाज हैं।
चन्द्र का उभार और उसके अर्थ चन्द्र (Lunar) का उभार हथेली के अन्त में मस्तक रेखा के नीचे पाया