Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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कर हस्त रेखा ज्ञान
रास्ते पर जाते हुए पायें। यदि उनके किसी भी मित्र पर कोई गुप्त रूप से आक्रमण किया जाता हैं तो वे बहुत ही सहानुभूति रखते हैं। वे बहुत प्रेम तो करते हैं, मगर बुरी प्रकार से घृणा भी करते हैं। वे बीच के रास्ते पर नहीं रहते हैं, या तो इस ओर या उस ओर रहते हैं।
हालांकि वे स्वाभाविक ही सच्चे तथा ईमानदार होते हैं तो भी कभी-कभी बुरा धोखा खाते हैं। और खतरा यह होता हैं। कि अपनी वृद्धावस्था में उनका यश जो कि सूर्य की भांति चमका था दूसरों के धोखे तथा असत्यता से उनके द्वारा धीमा पड़ जाता हैं और बादलों में छिप जाता हैं, या जीवन के पथ के अन्त होने के प्रथम में ही छिप जाता है।
बहुत-से मनुष्य जो दूसरों को प्रसन्न रखते हैं, और दूसरों के दिलों में अपनी अच्छाई की रोशनी फैला देते है स्वयं खुश नहीं होते और जब सन्ध्या काल आता है, तो वे निराश तथा चिन्ता के शिकार बन जाते हैं। और बहुत-से तो आत्म-हत्या भी कर लेते है।
दूसरी अन्य विशेषताओं में ये मनुष्य घमण्डी होते हैं। तथा दूसरों की मदद मिलने से प्रथम ही मर जाते हैं। वे अपने गर्व में बहुत शीघ्र ही घायल हो जाते हैं तथा हृदय से ज्यादा भावुक होते हैं। वे क्रोधी तथा गर्म स्वभाव के होते हैं
और जब सार्वजनिक कार्यों को करते हैं तो अपने पर बहुत बुरे प्रकार से आक्रमण हुआ पाते हैं।
स्वास्थ्य-ऐसे मनुष्य, दर्द, दिल की धड़कन तथा बीमारी, सिर और कानों की बीमारी, आँखों तथा गुदों की सूजन हो जाना पैर की बीमारी तथा सूजन से ग्रसित रहते हैं।
सूर्य का Nagative उभार जब कि मनुष्य इक्कीस जनवरी से अठारह या पच्चीस फरवरी तक की तारीखों में उत्पन्न होता तो यह उभार (Nagative) होता है। जब मनुष्य दूसरों के लिए कार्य करते हैं तो अपने की अपेक्षा अधिक सफल होते हैं ये प्राय: जनता की भलाई तथा उनके दुःख दूर करने के प्रति अधिक कार्यशील होते हैं।