Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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جانا؟
हस्त रेखा ज्ञान
प्रबल होती है। अंगुलियों के अग्रभाग नुकीले हों तो श्रेष्ठ वक्ता होता है। एवं अंगुलियाँ आगे की ओर फैली हुई हों तो अच्छी जिरह करने वाला (वकील) या प्राध्यापक आदि होता है।
यदि बुध क्षेत्र अत्यधिक उन्नत हों तो जातक वाचल, मिथ्यावादी, छली, प्रपंची, विश्वासघाती, बेईमान तथा जुआरी होता है। यदि साथ ही कनिष्ठा अंगुली टेढी भी हो तो उन दुर्गुणों में विशेष वृद्धि हो जाती है।
यदि बुध क्षेत्र निम्न हो तो जातक उदार, अशान्त, असन्तुष्ट, चिन्ताशील तथा विज्ञान एवं गणित सम्बन्धी कार्यों से घबराने वाला होता है ।
यदि बुध क्षेत्र उन्नत हो तथा कनिष्ठिका अंगुली का प्रथम पर्व लम्बा हो और नाखून छोटे हों तो जातक अच्छा वकील होता है। अँगुली नुकीली हो तो सुवक्ता होता है। कनिष्ठा का दूसरा पर्व लम्बा हो तो वैज्ञानिक अथवा चिकित्सक होता है। तीसरा पर्व लम्बा हो तो व्यवसाय द्वारा पर्याप्त धनोपार्जन करता है।
यदि बुध क्षेत्र निम्न हो तथा हथेली की बनावट भी अच्छी न हो तो घातक, धोखेबाज, मूर्ख, अविवेकी, दुर्बल, चोर तथा प्रपंची होता है। यदि हथेली पर अन्य रेखाएँ शुभ हों तो इन दुर्गुणों में कुछ कमी आ जाती है।
यदि बुध का पर्वत सूर्य क्षेत्र की ओर झुका हुआ हो तो जातक कुशल चिकित्सक व्यवसायी अथवा चित्रकार, दूरदर्शी, प्रतापी, बुद्धिमान एवं सुखी जीवन बिताने वाला होता है। उसकी पत्नी सुन्दरी तथा गृहकार्य कुशल होती है और वह अपने पति के जीवन काल में ही मर जाती है। जिस स्त्री के हाथ में ऐसा पर्वत हो, उसका पति दुराचारी एवं व्यसनी होता है। तथा वह वैधव्य का दुःख भी भोगती है।
यदि बुध क्षेत्र प्रथम मंगल क्षेत्र की ओर झुका हुआ हो तो जातक आमोद-प्रमोदप्रिय तथा दूसरों की चिन्ता न करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति की मृत्यु पर कोई दुःखी नहीं होता ।