Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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यदि उच्च सूर्य क्षेत्र का झुकाव निम्न शनि क्षेत्र की ओर हो तो जातक उदग, धर्मात्मा, हाम, सुदगुणी, साहसी, सुन्दर, यशस्वी तथा निर्भय होने के कारण ही क्रोधी, कामी, चपल, अहंकारी तथा परस्त्रीगामी भी होता है।
यदि उच्च सूर्य क्षेत्र का झुकाव बुध क्षेत्र की ओर हो तो जातक स्थिर-विचारों वाला, कुशल-व्यवसायी, ईमानदार, स्वस्थ, विनम्र तथा दयालु स्वभाव का होता है, परन्तु व्यवहार में खरा नहीं होता। ऐसी स्त्री रूपवती, गुणवती तथा सुखी-जीवन बिताने वाली होती है।
यदि सूर्य तथा शनि दोनों क्षेत्र उन्नत हों तो जातक स्वेच्छाचारी होता है। तथा हत्या, डकैती जैसे जघन्य अपराध करके भी उसके परिणामों से साफ बच जाता है। ऐसी स्त्रियाँ व्यभिचारिणी होती हैं।
यदि सूर्य तथा गुरु दोनों क्षेत्र उन्नत हों तो जातक कर्तव्य परायण, धनी, सुखी, परोपकारी, सत्यवक्ता एवं सद्गुणी होता है। ऐसी स्त्री ४० वर्ष की आयु के बाद धार्मिक-अनुष्ठानों में काल-यापन करती हैं।
यदि सूर्य तथा शुक्र-दोनों क्षेत्र उन्नत हों तो जातक शान्तिप्रिय, सद्गुणी, धनी, सुखी, तेजस्वी तथा ललित-कलाओं का प्रेमी होता है।
यदि सूर्य तथा मंगल-दोनों क्षेत्र उन्नत हों तो जातक शिल्पी, विद्वान, साहित्यकार धनी, यशस्वी, सुन्दर, शान्त स्वभाव एवं लोकप्रिय होने के साथ ही कुछ अहंकारी तथा धूर्त भी होता है। उसकी अपनी पत्नी से अनबन बनी रहती है।
यदि सूर्य तथा बुध-दोनों क्षेत्र उन्नत हों तो जातक सुन्दर, चतुर, सुवक्ता, सुलेखक, व्यवसाय-कुशल, धनी, मित्रवान् तथा यशस्वी होने के साथ ही कुछ क्रोधी, कृपण तथा शत्रु-बाधायुक्त भी होता है।
यदि सूर्य, मंगल तथा शनि-तीनों क्षेत्र उन्नत हों तो जातक उग्रकर्मा, महायोद्धा तथा साहसी होता है। वह वीर सैनिक अथवा युद्ध-क्षेत्र में चित्र (फोटो) खींचने (बनाने) में कुशल होता है।
बुध क्षेत्र यदि बुध क्षेत्र सामान्य उन्नत हों तो जातक तीक्ष्ण बुद्धि, काल्पनिक, शास्त्रज्ञ, चतुर, आविष्कारक, कुशल व्यवसायी, श्रेष्ठ साहित्यकार, चिकित्सक, यात्रा-प्रेमी तथा चतुर होता है। यदि ऐसी स्थिति में अंगुलियाँ चौकोर हों तो तर्क-शक्ति