Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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हस्त रेखा ज्ञान
कुछ मनुष्य कोई भाग्य रखते दिखाई नहीं देते। जबकि कुछ मनुष्य आये दिन अपने भाग्य को पत्थर पर लिखते हैं, मैंने सैकड़ों स्थानों पर देखा हैं, कि जीवन-पथ बाल्यावस्था से मृत्यु तक का एक-एक कदम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। जबकि और स्थानों पर जहाँ कि केवल कुछ विशेष परिवर्तन ही जीवन में दिखाई पड़ते हैं, फिर भी कुछ ऐसे है जिनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं होता तथा कुछ ऐसे हैं जिनकी भाग्य रेखा हर नये वर्ष के परिवर्तन को प्रकट करती
___ जीवन में इतनी अधिक गुप्त बातें होती हैं कि एक का कम होना या अधिक होना कुछ विशेष महत्त्व नहीं रखता कुछ विद्वान् तथा दार्शनिक लोगों का कथन हैं कि भाप सम्बका है। कुछ धार्मिक ग्रन्थों में लिखा है, मनुष्य के भाग्य को पहले से ही बना देना ईश्वर की आन्तरिक इच्छा हैं। दिमाग की गुप्त बातों की कोई हद भी नहीं है शरीर विज्ञान इन बाद के वर्षों में इतना गम्भीर हो गया है कि वह बता सकता हैं कि कार्य के या परिवर्तन कुछ वर्ष पहले दिमाग के खजाने में कुछ बढ़ती हुई तरक्की होनी चाहिये हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में हर एक कार्य कुछ मानसिक परिवर्तन का नतीजा हैं और जैसा कि हमारे दिमाग की सबसे अधिक भावुक धमनियाँ हाथ में जुड़ी हुई हैं। वे हमारे जीवन के कार्य या परिवर्तन बहुत वर्ष पहले ही हमारे हाथों पर लिख जाती हैं।
यह निश्चय है कि हर एक चेतन प्राणी के लिए एक भाग्य हैं। जो उसकी इच्छा के अनुसार उससे बुरा या अच्छा देता हैं। भाग्य रेखा निम्नलिखित स्थानों से आरम्भ होती हैं जीवन रेखा से या उसके बाहर से आरम्भ हो (२-२ चित्र ११) सीधे कलाई से आरम्भ हो (३-३ चित्र ११) या हथेली के बीच से आरम्भ हो।
जीवन रेखा से शुरू यदि भाग्य रेखा जीवन रेखा से (२-२ चित्र ११) शुरू होती हैं तो उस मनुष्य की सफलता उसके अपने परिश्रम तथा गुणों पर निर्भर हैं। ऐसे मनुष्य के प्रारम्भिक वर्ष मुश्किलों तथा कुचले हुए होते हैं, स्थितियाँ तथा वातावरण अनुकूल