Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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के नाम क्रमश: (१) प्रजापति (२) वरुण और (३) यम अथवा इन्द्र रखे हैं। इस प्रकार ७ पुराने सौरमण्डलीय ग्रह २ छायाग्रह तथा ३ नवीन आविष्कृत ग्रह- इस प्रकार कुल ४२ ग्रहों के हिन्दी-अंग्रेजी नाम क्रमश: इस प्रकार है
१. सूर्य (1)
२. चन्द्र ( मून)
३. मंगल (मार्स)
४. बुध (मर्करी)
५. गुरु (जुपिटर)
६. शुक्र (वीनस) ७. शनि (सैटर्न)
हस्त रेखा ज्ञान
८. राहु ( ड्रैगन्स हैंड)
९. केतु ( ड्रैगन्स टेल)
१०. प्रजापति (हर्षल )
११. वरुण ( नेपच्यून )
१२ यम अथवा इन्द्र ( प्लूटो )
पहले चन्द्र क्षेत्र को सबसे बड़ा माना जाता था। अब सुविधा के लिए चन्द्र क्षेत्र को (१) उच्च (२) मध्य तथा (३) निम्न इन तीन समभागों में विभाजित कर दिया गया है।
नेपच्युन (वरुण) का स्वभाव चन्द्र से, हर्षल ( प्रजापति) का स्वभाव मंगल से तथा प्लूटो (यम अथवा इन्द्र) का स्वभाव राहु से मिलता जुलता माना गया है, अतः वर्तमान समय में ग्रह क्षेत्रों का नवीन निर्धारण निम्नानुसार किया गया
(क) शुक्र, गुरु, शनि, सूर्य तथा बुध क्षेत्र पूर्ववत । (ख) नेपच्यून क्षेत्र — उच्च चन्द्र क्षेत्र का भाग ।
(ग) हर्षल क्षेत्र - प्रथम मंगल क्षेत्र का भाग ।
(घ) प्लूटो क्षेत्र – राहु क्षेत्र का १ / २ निम्न भाग ।
नवीन निर्धारित ग्रह क्षेत्रों को इस पृष्ठ पर दिये गये चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इसके माध्यम से पाठकों को ग्रह क्षेत्र समझने में सुविधा होगी।