Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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ग्रह क्षेत्रों का निर्धारण चित्र ३६
सूक्ष्म धारियों के पारस्परिक मिलने के फलस्वरुप उक्त चारों ग्रह क्षेत्रों का विभाजन सम्बन्धित अंगुली के ठीक नीचे वाले स्थान पर ही होता हो, यह आवश्यक नहीं है। ये धारियाँ कुछ इधर-उधर हटकर भी होती हैं अतः ग्रह क्षेत्र अपनी अंगुलियों के ठीक निम्न भाग से कुछ हटे हुए होते हैं। उन्हें अपने स्थान से हटा हुआ माना जाता है तथा इस स्थानान्तरण के फलस्वरुप उनके प्रभाव में भी अन्तर आ जाता
है ।
सूक्ष्म धारियों द्वारा उक्त चारों ग्रह क्षेत्रों के विभाजन को ऊपर चित्र (संख्या ३६) में प्रदर्शित किया गया है।
यदि सामान्य दृष्टि अथवा आतशी शीशे द्वारा देखने पर भी ग्रह क्षेत्रों की स्थिति का ठीक-ठीक ज्ञान न हो तो प्रेस की स्याही से कागज के ऊपर हाथ की छाप लेकर ( छाप लेने की विधि का वर्णन पहले किया जा चुका है ) ग्रह