Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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अध्ययन भिन्न मन्त्र
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हथेली पर ग्रह क्षेत्र- प्राचीन विधि चित्र ३५
(१) तर्जनी अंगुली के नीचे गुरु क्षेत्र ! (२) मध्यमा अंगुली के नीचे - शनि - क्षेत्र । (३) अनामिका अंगुली के नीचे सूर्य-क्षेत्र । (४) कनिष्ठिका अंगुली के नीचे - बुध क्षेत्र ।
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ग्रह क्षेत्रों का निरीक्षण — — सम्पूर्ण हथेली की त्वचा पर जो अत्यन्त महीन धारियां सी फैली हुई हैं, वे ही ग्रह क्षेत्रों की विभाजक रेखा का कार्य करती है। तर्जनी, मध्यमा, अनामिका तथा कनिष्ठिका - इन चारों अंगुलियों के नीचे चार स्थान ऐसे अवश्य होते हैं जहां पर ये सूक्ष्म धारियाँ परस्पर विपरीत दिशाओं से अलग-अलग आकर मिलती तथा इस प्रकार चारों ग्रह क्षेत्रों को एक दूसरे से पृथक करती हैं। इन धारियों की यथार्थ स्थिति को आतशी शीशे (Magnifying Glass) से देखकर भलीभाँति जाना जा सकता है। इन सूक्ष्म धारियों के फलस्वरुप निम्नलिखित केवल ४ ग्रह क्षेत्रों का स्पष्ट विभाजन होता है