Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
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__दूसरे विशेष निशान की जीवन रेखा सीधी मंगल के उभार की ओर उसे घेरती हुई जाती हैं (२-२ चित्र ९) या वह एक अच्छा सा अर्द्धवृत्त या गोले का टुकड़ा (३-३ चित्र ९) बनाती हैं पहली दशा में वह स्वाभाविक ही नाजुक गठन तथा पशुत्व आर्कषण का कम प्रभाव प्रकट करती हैं।
यह देखा जाता है कि वह मनुष्य जो कमजोर होते हैं, उनकी अपेक्षा जो कि दृढ़ गठन तथा अच्छा खून के दौरान रखते हैं यह बड़ा हथेली का वृत्त (The great palmer arch) अधिक संकीर्ण होता हैं, इसीलिए यह मंगल का उभार जबकि वह बड़ा और चौड़ा होता हैं, तो वह पतले तथा छोटे उभार की अपेक्षा अधिक पशुत्व स्वभाव बतलाता हैं।
मार्गदर्शक :- आचार्य श्री सुविधिसागर
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चित्र संख्या - १० इस विशेष चिह्न पर बोलते हुए यह भी बता देना आवश्यक है। कि जब मस्तक रेखा सीधी जाने के स्थान पर नीचे की ओर को झुकी हुई हो तो यह
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