Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहु संहिता
चन्द्रमा के उभार से आने वाली रेखा बतलाती है कि उसकी एकता में कुछ नवीनता होगी। वह मनुष्य जिसके हाथ पर यह रेखा होगी। अपनी (Afivitiy)..... जगह से जब वह घर से दूर हो या यात्रा करता हो, मिलता है।
यदि प्रभावशाली रेखा एक द्वीप रखती है तो प्रभाव बुरा होगा और मनुष्य (स्त्री या पुरुष) अपने व्यतीत जीवन के लिए घृणा (Scandd) रखते होंगे (8 चित्र 18) यदि इस सन्धि के पश्चात् भाग्य रेखा कमजोर या बहुत अनिश्चित हो तो ऐसी शादी उस मनुष्य के लिए अच्छाई व खुशी या सफलता नहीं लाती यदि इसके विपरीत, प्रभावशाली, रेखा के मिलने के पश्चात् भाग्य-रेखा अधिक मजबूत तथा अच्छी दिखाई दे तो वह शादी फायदेमन्द होगी यदि सूर्य-रेखा साथ में विद्यमान है तो यह शक्ति में अधिक गहरी तथा निमित्त होती हैं।
यही प्रभावशाली रेखा भाग्य-रेखा को काटती हुई अंगूठे की ओर निकल जाय तो प्रेम अचानक बहुत लम्बा हो जाता हैं (7 चित्र 18) यदि अभी तक भी एक अधिक चौड़ा वियोग प्रभावशाली तथा भाग्य रेखा जैसे दोनों साथ-साथ हो तो वो मानवों की इच्छाओं तथा भाग्यों का वियोग जैसे कि वर्ष बढ़ते जाते हैं अधिक स्पष्ट होगा यदि कोई प्रभावशाली रेखा भाग्य-रेखा के पास पहुँचती हैं। और कुछ काल के समानान्तर चलती हैं लेकिन उसे मिलती नहीं तो कोई बड़ी रुकावट हैं जो शादी को कभी भी होने से रोकेगी यदि कोई प्रभावशाली रेखा द्वीप पर आकर समाप्त हो जाती है तो प्रभाव स्वयं ही मुश्किल में पड़ जाता है विशेष कर किसी प्रकृति की {disgraee) बेईज्जती (10 चित्र 18)।
मंगल के उभार पर प्रभावशाली रेखायें । ये प्रभावशाली रेखायें जीवन-रेखा के समानान्तर चलती हैं (1-11 चित्र 18) लेकिन वे शुक्र-रेखा या जीवन की मम्नी रेखाओं में जो कि कुछ ऊपर को शुक्र के उभार पर शुरू होती हैं, नहीं मिलनी चाहिए ये मंगल की प्रभावशाली रेखायें उन्हीं मनुष्यों के हाथों में पाई जाती हैं जिनका स्वभाव मंगल के समान हो या जो बहुत अधिक तरंगित तथा जोशीले हो।
जब ऐसी बहुत-सी रेखायें हों तो वह मनुष्य बिना प्रेम के रह नहीं सकता और एक समय पर बहुत से प्रेम सम्बन्ध रखता हैं यदि ऐसी प्रभावशाली रेखा-जीवन रेखा के समानान्तर या उस से कुछ दूर हट गई हो तो यह देखा जा सकता है