Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
भद्रबाहु संहिता
भारतीय संस्कृति के अनुसार आयु रेखादिका हाथ
कलाई से आरम्भ जब कि भाग्य रेखा कलाई से शुरू हो (1-1 चित्र 19) और सीधी हथेली को पार करती हुई शनि के उभार तक जाती हैं और साथ ही साथ सूर्य रेखा (4-4 चित्र 19) अच्छी प्रकार स्पष्ट रूप से हो तो किस्मत सफल तथा यश भाग्य में हो और एक अच्छा भाग्य सोचा जा सकता हैं।
इन अंगुठादिक के लिये पं. बालभट्ट जी का ऐसा कहना है-- अंगूठा (The Thumb)
हाथ की बनावट से चरित्र जानने में अंगूठा वहीं स्थान रखता हैं जो कि नाक का चेहरे पर हैं। यह स्वाभाविक इच्छाशक्ति को बतलाता हैं। जबकि मस्तक-रेखा मानसिक इच्छा बतलाती हैं। अंगूठा विचारों की तीन बड़ी दुनियाँ बतलाता हैं। प्रेम, तर्क तथा इच्छा (चित्र 3 भाग 2)