Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भदबाहु संहिता
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तिप्परिरिक्ता पयडा जवमाला होइ जस्स मणिबंधे।
सो होइ घणाइपणो खत्तिय पुण पत्थिवो होइ॥ 10 11 (जस्स मणिबंधे) जिसके मणिबंध में (जवमाला) जवमाला (तिप्परिरिक्ता पयडा होइ) की तीन धाराएँ हो तो (सो होइ घणाइण्णो) वह मनुष्य धनवान होता है (पुणखत्तिय पत्थिको होइ) अगर वह क्षत्रिय हो तो राजा होता है।
भावार्थ-यदि मणिबंध की देखा वनमाला के तीन धाराओं वाली हो तो वह मनुष्य अवश्य धनवान होता है। और अगर वह मनुष्य क्षत्रिय कुलोत्पन्न हो तो वह राजा बन जायगा ।। 10 ।।
दुप्परिरिक्ता रम्मा जवमाला होइ जस्स मणिबंधे।
सो हवइ रायमंती विउलमई ईसरो होइ ।। 11 ।। (जस्स मणिबंधे) जिस के मणिबंध में (दुप्परिरिक्ता रम्मा जवमाला होइ) दो जयमाला की धाराएँ हो तो ऐसा व्यक्ति (सो हवइ रायमंती) राजा का मंत्री होता है (विउलमई ईसरो होइ) और अगर वह विमल बुद्धिवाला हो तो राजा भी बन जाता है।
भावार्थ—जिसके मणिबंध में दो जवमाला की धाराएँ हो तो ऐसा मनुष्य राजा का मंत्री बनता है। और अगर वह विशेष बुद्धिवाला हो तो राजा भी बन जाता है॥11॥
इकक्परिक्खत्ता पुण जवमाला दीसए सुमणि बंधे।
सिट्ठी घणेसरो होइ तह य जणपुन्जियो पुरिसो॥12॥ (पुण सुमणिबंधे) पुन: जिसके मणिबंध में (इक्कपरिक्ता जवमाला दीसए) एक जवमाला की धारा हो तो (सिठ्ठीधणेसरो होइ) वह धनेश्वर सेठ होता है (तहय जणपुञ्जियोपुरिसो) और वह लोगों के द्वारा पूजा जाता है। - -
भावार्थ-आचार्य कहते हैं कि जिस मनुष्य के मणिबंध में एक ही जवमाला की धारा दिखे तो वह मनुष्य धनेश्वर सेठ बनता है और लोगों के द्वारा पूजा जाता है॥12॥