Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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निमित्त शास्त्रम्
भावार्थ-यदि उत्तर दिशा की ओर बिजली चमके तो समझो वायु चलकर वर्षा अवश्य होगी।। १५४ ।।
अग्गीये जड़ दीसह वाही मरणं च तत्थ को वेदि।
तयमासियं च वरिसं मासंतुणवरसए देवो।।१५५॥ (अग्गीये जइ दीसइ वाही) अग्नि कोण में यदि बिजली चमकती दिखे तो व्याधि (मरणं च तत्थ कोवेदि) मरण की सूचना मिलती है (तयमासियं च वरिस)
और तीन महीने के बाद वर्षा होगी (मासंतुण वरसएदेवो) उससे पहले वर्षा नहीं होगी।
भावार्थ-यदि अग्नि कोण में बिजली चमके तो व्याधि से मरण होगा और तीन महीने में वर्षा होगी ऐसी सूचना देती है। १५५॥
विसए गामे जयरे तस्सविणासो हवइणिविठो।
अहि देससभय मूसथ उपसि जिस्थिः संदेहो॥१५६॥ यदि उपर्युक्त बिजली चमकती दिखे तो (विसएगामे णयरे) गाँव नगर का (तस्सविणसो हवइणिद्दिठो) विनाश अवश्य होगा ऐसा निर्दिष्ट किया गया है (अहिदंस मसय मूसयउप्पत्ति) और सर्प, बिच्छू, मच्छर, चूहे की बहुत उत्पत्ति होती है (णत्थिसंदेहो) इसमें सन्देह नहीं हैं।
भावार्थ-यदि उपर्युक्त बिजली चमकती दिखे तो गाँव नगर का नाश अवश्य होगा और सर्प, बिच्छू, मच्छर, चूहे आदि की उत्पत्ति ज्यादा होती है॥ १५६॥
जम्मादुपुणोदिडो सुभिक्खआरोगिया हवइविज्जू।
सा कुणइगब्मणासं बालविणासं चणियमेण ॥१५७॥ (जम्मादुपुणोदिट्ठो) यदि दक्षिण दिशा (विज्जूहवई) की बिजली चमके तो (सुभिक्खअरोगिया) सुभिक्ष होगा, और निरोगता बढ़ाएगा (सा कुणइगम्भणासं) और वह स्त्रियों के गर्भ नाश करेगा (बाल विणासं चणियमेण) और बच्चों का भी नाश करेगा ऐसा नियम है।
भावार्थ-यदि दक्षिण दिशा में बिजली चमकती हुई दिखाई तो सुभिक्ष
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