Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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हस्त रेखा ज्ञान
है । बहुत छोटे अंगूठे वाला परिवर्तशील विचारों का होता है। सामान्य छोटे अंगूठे के साथ चिकनी अंगुलियाँ हो तो जातक कला-प्रेमी होता है; नुकीली अंगुलियाँ हो तो कला के पीछे दीवाना बना रहता है। वर्गाकार अथवा चमसाकार अंगुलियाँ हो तो कला का आलोचक होता है; गाँउदार तथा नुकीले छोर वाली अँगुलियाँ हो तो तर्क शक्ति नियन्त्रित होती है। तथा कला प्रेमी होने के स्थान पर जातक व्यवसायी अथवा विज्ञान में रुचि रखने वाला होता है।
15---मोटा तथा रुखा अंगूठा हो तो जातक रुखे स्वभाव का परन्तु ईमानदार होता है।
16 – चपटा अंगूठा हो तो जातक हर समय कुछ-न-कुछ बकता रहता है। 17-चौड़ा अंगूठा हो तो जातक क्रोधी तथा उग्र स्वभाव का होता है। 18- -चौड़ा तथा छोटा अंगूठा हो तो जातक जिद्दी होता है।
19- पतला अँगूठा हो तो जातक सुसंस्कृत रुचि का होता है। यदि पतला होने के साथ अधिक नाजुक भी हो तो कला-प्रेमी होता है।
20—–ढ़ तथा बड़े अंगूठे वाला जातक व्यवहार कुशल तथा कर्त्तव्य परायण होता है।
21- -छोटा तथा कमजोर अंगूठा हो तो जातक में साहस एवं इच्छा शक्ति का अभाव होता है।
22 – अंगूठे का सिरा हथेली के पीछे (बाहर) की ओर मुड़ा हुआ हो तो जातक बिना विचारे अधिक खर्च करने वाला, सुखी जीवन बिताने वाला, उदार दानी तथा ललित कलाओं का प्रेमी अथवा ज्ञाता होता है।
23 – अंगूठे का सिरा हथेली के भीतर की ओर मुड़ा हो तो जातक अस्थिर बुद्धि वाला होता है।
24 – लचीले अंगूठे वाला व्यक्ति अच्छा गायक होता है।
25- नुकीले अंगूठे वाला जातक चापलूसी पसन्द होता है।
26 – यदि अच्छी बनावट वाला अंगूठा तर्जनी से एकदम सटा हुआ हो तो जातक परावलम्बी होता है।