Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
९२१
हस्त-रेखा ज्ञान
यदि भाग्य रेखा शनि के उभार को पार करती हुई अंगुली की जड़ में पहुंच जाय तो वह अभागा चिन्ह होगा वह मनुष्य जो भी कार्य आरम्भ करेगा उसके कब्जे से बाहर हो जावेगा। और वह प्रत्यक्षतया नहीं जान सकेगा। कैसे और कब, जो कुछ काम वह लेता हैं। रोकना चाहिए।
जबकि भाग्य-रेखा हृदय रेखा से रुक जावे तो प्रेम तथा मोह बुरी तरह से होने के कारण जीवन-पथ हमेशा बर्बाद हो जावेगा। जब किसी प्रकार भाग्य-रेखा हृदय रेखा से मिल कर शनि के उभार की ओर जाती है। (दोनों भी मिल कर) (1-1 चित्र 12) तो यह मनुष्य अपने प्रेम में खुशी प्राप्त करेगा और वह प्रेम और मोह से अपनी उच्चाकांक्षाओं को पाने में मदद पायेगा। वह दूसरों के साथ मिलने तथा प्रेम करने में बहुत भाग्यशाली होगा और दूसरों से मदद तथा लाभ होगा।
जबकि भाग्य रेखा मस्तक रेखा से रुक जावे (4-4 चित्र 12) तो उस मनुष्य का जीवन उसकी मानसिक मूर्खता तथा उसकी अपनी बेवकूफी से खराब हो जावेगा।
चित्र सरस्था-13